Ramdan Mubarak: अल्लाह की इबादत के लिए सबसे खास हैं ये रातें, रमजान का अंतिम अशरा आज से
Ramdan Mubarak आज शाम के बाद रमजान का तीसरा और अंतिम अशरा शुरू होगा इस अशरे की पांच रातें बेहद महत्वपूर्ण इंसानों के मददगार बनें इंसानों के मार्गदर्शन को इसी एक रात में कुरानशरीफ आसमान से धरती पर आया
पटना सिटी, अहमद रजा हाशमी। Maah-E-Ramjan: इबादत का पवित्र महीना रमजान का आज 20 वां रोजा है। सोमवार की शाम इफ्तार के बाद यह रोजा पूर्ण होते ही रमजान अपने तीसरे और अंतिम अशरा में प्रवेश कर जाएगा। इसे जहन्नुम से निजात पाने का अवसर भी कहते हैं। इस अंतिम दस दिनों की पांच रातें बेहद महत्वपूर्ण होती है। इन्हीं में से किसी एक रात में पूरी दुनिया के इंसानों के मार्गदर्शन के लिए अल्लाह ने पवित्र आसमानी ग्रंथ कुरान शरीफ को धरती पर उतारा था।
जाने-अनजाने में हुए गुनाहों की माफी का वक्त
इस्लामिक शिक्षाविद मौलाना अबू नसर फारुक ने बताया कि जरूरतमंद इंसानों का मददगार बनना इबादत है। जाने अनजाने में हुए गुनाहों के लिए इंसान आत्ममंथन कर अल्लाह से माफी मांगे। भविष्य में पाप न करने के लिए अल्लाह से वादा करे।
सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं रमजान महीने की ये रातें
उन्होंने बताया कि रमजान की 21, 23, 25, 27 एवं 29 तारीख की रात अधिक से अधिक इबादत कर दुआ मांगनी चाहिए। इन्हीं रातों में से किसी एक रात में कुरान शरीफ इंसानों के मार्गदर्शन के लिए अल्लाह ने पृथ्वी पर भेजा था। उन्होंने बताया कि रमजान के इसी अंतिम 10 दिनों में ऐतकाफ भी किया जाता है। मोहल्ला या शहर का कोई एक व्यक्ति मस्जिद में जाकर ईद का चांद निकलने तक रहता है।
ईद का चांद नजर आने पर ही लौटता है घर
इस दौरान वह व्यक्ति खुद को घर, परिवार, सांसारिक मोह माया और कामकाज से दूर रख कर केवल अल्लाह की इबादत करता है। यहीं सोता और यहीं खाता है। सभी के लिए दुआ करता है। ईद का चांद नजर आने के बाद ही वह व्यक्ति मस्जिद से अपने घर लौटता है। शिक्षाविद श्री फारूक ने बताया कि ऐतकाफ एक या एक से अधिक व्यक्ति कर सकता है।
बचे हुए 10 दिनों में करें अल्लाह को मनाने की कोशिश
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई है। यह हम इंसानों के गुनाहों का ही नतीजा है। हमें अल्लाह के समक्ष नतमस्तक होकर अपने गुनाहों के लिए माफी और कोरोना के खात्मे के लिए दुआ करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि रमजान तेजी से रुखसत हो रहा है। बचे हुए अंतिम 10 दिनों में खूब इबादत कर रूठे हुए अल्लाह को मनाने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। हर तरफ अमन सुकून और भाईचारे की सलामती के लिए दुआ करने की आवश्यकता है।