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कर्पूरी से था लोहिया-जेपी का गहरा संबंध, पटना के इस घर में ली थी जीवन की अंतिम सांसें

कर्पूरी ठाकुर जयंती पर विशेष 17 फरवरी 1988 को पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर की जीवनलीला हुई थी खत्म 08 मई 1990 को तत्समय मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद ने भवन को स्मारक के रूप में किया था विकसित लोहिया जयप्रकाश चंद्रशेखर व लालकृष्ण आडवाणी सरीखे नेताओं का था लगाव

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 09:52 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 05:04 PM (IST)
कर्पूरी से था लोहिया-जेपी का गहरा संबंध, पटना के इस घर में ली थी जीवन की अंतिम सांसें
बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा। जागरण

पटना, जागरण संवाददाता। Karpoori Thakur Birth Anniversary Special: बिहार भगवान बुद्ध की ज्ञान भूमि, महात्मा गांधी की कर्मभूमि और जयप्रकाश की आह्वान भूमि रहा है। यह बिहार... जनता के हित में प्र्रगति भूमि और परिर्वतन बनेगा। राजधानी के देशरत्न मार्ग पर स्थित बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर स्मृति संग्रहालय की दीवार पर लिखे उपरोक्त शब्द कर्पूरी ठाकुर के हैं। यह आज भी संग्रहालय में आने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। 17 फरवरी 1988 को कर्पूरी ठाकुर देशरत्न मार्ग स्थित अपने राजकीय निवास पर ब्रह्मलीन हुए थे। उसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने आठ मई 1990 को भवन का स्मारक के रूप में उद्घाटन कर संग्रहालय में विकसित किया था।

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कर्पूरी आवास से रहा नेताओं का गहरा संबंध

24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर जिले के पितौजिया गांव के गोकुल ठाकुर के घर जन्मे कर्पूरी ठाकुर ने लंबे संघर्ष के बाद राजनीतिक गलियारे में प्रवेश किया था। 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलनÓ में कूदने के दौरान उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में छोडऩी पड़ी। संग्रहालय में रखे दुर्लभ दस्तावेज और ठाकुर के जीवन से जुड़ी स्मृतियों को देखने के बाद पता चलता है कि उनका कद कितना ऊंचा था? पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, डॉ. राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी सरीखे कद्दावर नेताओं का इस आवास से गहरा लगाव रहा। कई आंदोलनों और बैठकों का साक्षी यह भवन आज भी किसी ऐतिहासिक स्थल से कम नहीं है।

डॉ. राममनोहर लोहिया का कर्पूरी ठाकुर पर था प्रभाव 

संग्रहालय में रखी डॉ. राममनोहर लोहिया और कर्पूरी ठाकुर की तस्वीर उनके मजबूत संबंधों को बयां करती है। लोहिया के विचारों का प्रभाव कर्पूरी ठाकुर पर शुरू से रहा। 1952 में ताजपुर से चुनाव लड़ विधानसभा पहुंचे कर्पूरी ने 1964 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना में भूमिका अदा की थी। वर्ष 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर कर्पूरी ठाकुर ने बिहार विधानसभा भंग करने की मांग की और स्वयं विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। आपातकाल के दौरान भूमिगत होकर वह आंदोलन का नेतृत्व करते रहे। 30 जनवरी 1977 को गांधी मैदान में जेपी के साथ सभा के दौरान वह प्रकट हुए थे। 1977 में कर्पूरी ठाकुर समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए।

सादगी के सुबूत आज भी जिंदा

देश की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर ऐसे मुख्यमंत्री हुए, जिनकी सादगी आज भी लोगों की जुबां पर है। संग्रहालय में रखे उनके पुराने स्वेटर, कपड़े व सूटकेस फटे हैं, जिसे धरोहर के रूप में संभाल कर रखा गया है। वहीं, एक तस्वीर में वह पानी में उतरकर 19 सितंबर 1969 को पटना शहर में आई बाढ़ का निरीक्षण कर रहे हैं।

संग्रहालय को कर्पूरी ग्राम बनाने की हुई थी बात

देशरत्न मार्ग पर कर्पूरी ठाकुर स्मृति संग्रहालय को कर्पूरी ग्राम बनाने को लेकर कला संस्कृति एवं युवा विभाग की ओर से प्रस्ताव बना था, लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्य नहीं हो सका। संग्रहालय के कर्मी की मानें तो इस वर्ष से कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। कर्पूरी ग्राम बनने से यहां पर लोगों का रूझान भी बढ़ेगा।


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