राजगीर की पहाड़ियों पर जंगल में दिखेंगे बंगाल के बाघ और गुजरात के शेर, बंद जीप से पास जाकर कर सकेंगे दीदार
बिहार आइए और राजगीर न जाइए तो आपके यहां आने का कोई फायदा ही नहीं। बिहार में पर्यटन का एक खास ठिकाना है शहर। राजगीर और आसपास का इलाका ऐतिहासिक सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
राजगीर (नालंदा), संवाद सहयोगी। Tourism in Bihar: बिहार आइए और राजगीर न जाइए तो आपके यहां आने का कोई फायदा ही नहीं। बिहार में पर्यटन का एक खास ठिकाना है शहर। राजगीर और आसपास का इलाका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन व धार्मिक नगरी राजगीर प्राकृतिक व नैसर्गिक छटाओं से भरपूर है। यहां की पंच पहाड़ियों में एक सोनागिरी पर्वत की गोद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी परियोजना, वाइल्ड लाइफ जू सफारी का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है।
फोटो- राजगीर में जू सफारी का मेन गेट और पीछे दिखती पहाड़ी। जागरण
2020 में ही पूरा हो जाना था प्रोजेक्ट
जू सफारी के निर्माण का जिम्मा राज्य सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग ने कुमार हाईट प्रा. लि. को दिया है। कंपनी को कार्यारंभ के दिन से अगले दो वर्ष में प्रोजेक्ट पूरा करने का टास्क दिया गया था। हालांकि कोरोना के कारण लगातार लगे लॉकडाउन के कारण इसमें देर हुई है। जू सफारी को 2020 के अगस्त माह में पर्यटकों के लिए खोल देना था, हालांकि 2021 की जुलाई में भी ऐसा नहीं हो सका। जू सफारी निर्माण का कुल बजट 177 करोड़ तय किया गया है। प्रथम चरण के इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में 60 करोड़ खर्च किए गए हैं। इस सफारी का शिलान्यास वर्ष 2017 की 17 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रिमोट दबाकर किया था।
फोटो- राजगीर में टाइगर सफारी का मेन गेट। जागरण
इस साल के आखिर तक हो जाएगा गुलजार
जू सफारी को आम लोगों के लिए खोलने में बड़ा पेंच शेर, बाघ, भालू सरीखे पशुओं को लाने का है। संक्रमण के खतरे को देखते हुए इन पशुओं की गुजरात व मध्यप्रदेश से होने वाली आमद पर फिलहाल रोक है। तीन माह पहले जू सफारी में एकमात्र रायल बंगाल टाइगर लाया जा सका है। उम्मीद है कि इस साल के आखिर तक जू सफारी में सभी मांसाहारी व शाकाहारी पशुओं की भरपूर आमद हो जाएगी और इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा।
जंगली जानवरों के बड़े इंक्लोजर के सामने लग रही ऊंची फेंसिंग। जागरण
साढ़े चार किमी लंबी है चहारदीवारी
पार्क की चारदिवारी का निर्माण हो चुका है। इसकी लंबाई सोनागिरी की तराई, जरासंध अखाड़ा से जेठियन मार्ग तक साढे चार किलोमीटर है। वहीं मांसाहारी जू सफारी के जीव-जंतु में शामिल शेर, बाघ, भालू व तेंदूआ के लिए इन्क्लोजर यानि बड़े-बड़े घेरान भी बन चुके हैं। 23 फुट ऊंची घेरान में लोहे की जाली व फेंसिंग लगाई गई है। इस इंक्लोजर में नाइट शेल्टर यानी जानवरों के लिए विश्राम स्थल बनाए गए हैं। इसमें पेयजल, बीमार पशुओं के इलाज, टहलने, प्रजनन, साफ- सफाई तथा भोजन की व्यवस्था है। इधर, हर्वीवारस यानी शाकाहारी जू सफारी में हिरण, चीतल, काला हिरण, सांभर रखे जाने हैं। इनके लिए भी नाइट शेल्टर बनाया गया है। जू सफारी में जानवरों को डबल प्रोटेक्शन में रखा जाएगा।
राजगीर की पहाड़ियों पर ऐसे हैं जंगल। जागरण
क्या होगी इस पार्क की प्रमुख विशेषताएं
जू सफारी में वन्यजन्तुओं को खुले वनों का घेरान कर काफी बड़े-बड़े बाड़ों में रखा जाना है। ताकि वे स्वच्छंद विचरण कर सकें। लोहे की जालियों से घिरे वाहन में बैठकर पर्यटक इन्हें प्राकृतिक वातावरण में देख सकेंगे।
वन्यजन्तु का दूसरा कैप्टिव प्रतिष्ठान होगा जू सफारी पार्क
सफारी में लोगों को वन्य जन्तुओं को देखने की अनुभूति ज्यादा प्राकृतिक लगती है। वहीं स्वच्छंद विचरण करते वन्यप्राणियों की दिनचर्या, ज्यादा स्वतंत्रता व सुविधा का भी ख्याल रखा जाता है। राजगीर जू सफारी को विश्व स्तर का बनाया गया है।
राजगीर जू सफारी के जंगल का दृश्य। जागरण
खास आकर्षण होगी पक्षियों की एवियरी व तितलियों का पार्क
सफारी में राजगीर की पंच पहाड़ियों के मनोरम वादियों के दृश्य के अतिरिक्त विविध प्रकार की वनस्पतियों व वन्यजन्तुओं की विविधता का अद्भुत संगम होगा। वहीं दूसरी ओर विश्व के विभिन्न प्रजातियों के पंक्षियों व तितलियों को उनके अपने प्राकृतिक अधिवास में उन्मुक्त गतिविधियों को देखना एक अनुपम अनुभव होगा।
जू सफारी के विहंगम दृश्य देखने के लिए लगेगा माइक्रो टेलीस्कोप
जू सफारी के आकाशीय दर्शन के लिए वैभारगिरी पर्वत के शिखर पर माइक्रोटेलीस्कोप स्थापित किया जाएगा। जहां से पर्यटक इसकी तलहटी में जू सफारी के कोने-कोने में विचरण कर रहे वन्यप्राणियों का नजारा देख सकेंगे और इसके लैंडस्केप का भी लुत्फ ले सकेंगे। इस सफारी में प्रोफेशनल व शौकिया वाइल्ड फोटोग्राफर्स के लिए समुचित व सुविधाओं से लैस ऐसा स्थान भी होगा, जहां से वे पूरी दुनिया को यहां का सचित्र विवरण दे सकेंगे।
नाइट सफारी में रात को कर सकेंगे जानवरों का दीदार
प्राकृतिक वनों में मांसाहारी वन्यप्राणी रात में अधिक क्रियाशील होते हैं। मांसाहारी अपना शिकार इस समय ही करते हैं। वहीं अपने अधिवास व स्थान परिवर्तन भी रात में करते हैं। राजगीर में अधिक गर्मी पड़ती है। गर्मी के दिनों में सैलानी सफारी भ्रमण को अधिक पसंद करेंगे और मांसाहारी प्राणियों को अधिक सक्रिय रूप में देख सकेंगे। इस कारण यहां नाइट सफारी भी विकसित करने का प्रस्ताव है।
मृग विहार सह हिरणों के प्रजनन केंद्र को भी किया गया है शामिल
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वाइल्ड लाइफ जू सफारी के शिलान्यास के दौरान इस परियोजना के बहुआयामी उद्देश्य पर प्रकाश डाला था। उस समय उन्होंने कहा था कि राजगीर की सोनागिरी की तलहटी की नैसर्गिक वादियों में वर्ष 1992 में स्थापित हिरणों के प्रजनन केन्द्र सह मृग विहार को भी जू सफारी में जोड़ा जाएगा। जहां लोग सपरिवार उन्मुक्त विचरण करते हिरणों के झुंड को कुलांचे भरते देख सकेंगे।
72 हेक्टेयर में फैला है यह क्षेत्र
यह मृग विहार राजा जरासंध अखाड़ा, सोन भंडार, मनियार मठ जैसे ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थल के निकट है। यह 72 हेक्टेयर में फैला है। मृग विहार को मिला देने से सोनागिरी एवं वैभारगिरी श्रृंखलाओं के बीच जू सफारी का रकबा बढ़कर 191 हेक्टेयर हो गया है। इस सफारी की स्थापना के लिए वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों के तहत राज्य व राष्ट्रीय वन्य पर्षद तथा केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की अनुशंसा सह अनुमति प्राप्त कर ली गई है। जिसके तहत सफारी के संचालन एवं इसमे संरक्षित वन्य जीव जंतुओं के लिए अतिआवश्यक संरचनाओं के निर्माण में केन्द्रीय चिडियाघर प्राधिकरण का मार्गदर्शन प्राप्त होता रहेगा।
राजगीर वनक्षेत्र को वाइल्ड लाइफ जू सफारी के लिए चयन की वजह
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमेशा से ही राजगीर को पर्यावरण मित्र पर्यटन के लिए शीर्ष पर रखा है, ताकि इसके मूल स्वरूप को क्षति न पहुंचे। उनके शब्दों में नालंदा जिला का राजगीर बिहार व देश की अनूठी धरोहर है। यहां प्राकृतिक, पुरातात्त्विक, ऐतिहासिक, आध्यात्मिक महत्व के विभिन्न रोचक एवं मनोहारिणी स्थलों, भग्नावशेषों एवं मगध साम्राज्य के गौरवशाली तथा समृद्धिशाली अतीत के प्रतीकों की अनोखी जुगलबंदी है।
राजगीर की पंच पहाड़ियों व घाटियों में फैले 35 वर्ग किमी में फैले वन के पुनर्स्थापन के लिए फिलहाल मृदा व नमी संरक्षण परियोजना संचालित है। इसी बीच आश्रयणी प्रबंध योजना वर्ष 2016-17 से क्रियान्वित की गई है। इसके जरिये वन्यप्राणी एवं जैव विविधता का संरक्षण किया जा सकेगा। यह राजगीर के पर्यटन को नया आयाम देगा और राजस्व वृद्धि का भी जरिया बनेगा।
पशुओं को एक माह के अध्ययन के बाद छोड़ा जाएगा जू सफारी में
2019 के 26 नवंबर को राजगीर महोत्सव के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्माणाधीन जू सफारी के निरीक्षण के दौरान 2020 के अगस्त माह तक जू सफारी को पर्यटकों के लिए खोलने का निर्देश दिया था। इस बाबत जू सफारी के डायरेक्टर हेमंत पाटिल ने बताया कि इंफ्रास्ट्रक्चर का काम पूरा कर लिया गया है। कोरोना संक्रमण के कारण वन्य जीवों को लाने में देर हो रही है। अब स्थिति थोड़ी सामान्य हुई है। दो से तीन माह में देश के विभिन्न अभयारण्यों से पशु ले आए जाएंगे। इसके बाद इस साल जाड़े में इसे शुरू करने का लक्ष्य है। प
पशुओं को यहां लाने के बाद एक महीने तक उसे अलग बाड़े में रख उनके सहज व्यवहार तथा चिकित्सीय जांच का अध्ययन कर सफारी में छोड़ा जाएगा। इनके मुकम्मल इलाज़ के लिए अलग से अस्पताल होगा। अगर किसी जानवर की मौत हो गई तो उसके पोस्टमार्टम से मौत का कारण जाना जाएगा। यहां वेटनरी काउंसिल आफ इंडिया के डाक्टरों को अध्ययन और अभ्यास करने का मौका मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस सफारी के अधिकारियों की अलग यूनिट का गठन किया गया है। जिसमें अभी डायरेक्टर, डीएफओ सहित 2 रेंजर, 10 फारेस्ट गार्ड आदि शामिल हैं।
कुछ प्रमुख तथ्य
20.54 हेक्टेयर में शेर सफारी
20.50 हेक्टेयर में बाघ सफारी
20.63 हेक्टेयर में तेंदुआ सफारी
20.60 हेक्टेयर में भालू सफारी
45.62 हेक्टेयर में क्रमश: हिरण, चित्तल व सांभर सफारी
10.74 हेक्टेयर में विश्व की विभिन्न प्रजातियों की चिड़ियों की एवियरी
0.38 हेक्टेयर में तितलियों का पार्क
जानें क्या-क्या बना है सफारी परिसर में
जू सफारी परिसर में टिकट काउंटर सह रिसेप्शन, ओरिएंटल व ईंटरप्रेटेशन सेंटर, आडिटोरियम एम्फीथियेटर, सफारी बस पार्किंग, प्रतीक्षालय व रेस्तरां के अलावे प्रशासनिक भवन, अस्पताल तथा कर्मचारियों के आवास आदि शामिल हैं।