यात्रियों ने सु्नाई दास्तान... कुछ मत पूछें, दिल्ली से पटना तक खड़े ही आए हैं
छठ के अवसर पर दिल्ली से पटना के लिए चल रही ट्रेनों में काफी भीड़ हो रही है। रेल यात्री अपनी परेशानी बयां करते हुए बताते हैं कि दिल्ली से पटना खड़े-खड़े ही आए हैं।
पटना [जेएनएन]। कुछ मत पूछें...दिल्ली से पटना तक खड़ा-खड़ा ही आना पड़ा है। बर्थ तो दूर की बात है फर्श पर भी बैठने की जगह नहीं है। छठ को देखते हुए संपूर्ण क्रांति जैसी ट्रेन के स्लीपर ही नहीं एसी बोगी तक में खड़े होने की जगह नहीं है। ऐसा मानना है दिल्ली के शालीमार बाग क्षेत्र के रहने वाले एके राय का।
उन्होंने जुलाई में ही अपना टिकट करवा लिया था। साढ़े तीन माह बाद भी उनकी प्रतीक्षा सूची में कोई विशेष कमी नहीं आई। वे प्रतीक्षा सूची की टिकट पर ही पटना तक पहुंच गए। जगह तो मिली नहीं ऊपर से प्रतीक्षा सूची की टिकट रहने पर टीटीई ने जुर्माना की रसीद थमा दी।
बर्थ थी कंफर्म, नहीं मिली लेटने की जगह
दरभंगा निवासी सत्येंद्र मिश्र भी अपनी पत्नी व बच्चे के साथ छठ के अवसर पर संपूर्ण क्रांति से पटना आए हैं। उनकी बर्थ कंफर्म थी इसके बावजूद उन्हें सोने का मौका नहीं मिला। दो बर्थ में एक बर्थ उन्हें एक बुजुर्ग पति-पत्नी को देनी पड़ गई। जो 77 साल की उम्र में भी खड़े-खड़े आ रहे थे। सत्येंद्र की मानें तो पूरी ट्रेन की यही हालत थी। रेलवे यात्रियों को लंबी प्रतीक्षा सूची का टिकट दे देता है। कंफर्म होता नहीं उल्टे उनसे जुर्माना वसूला जाता है।
नालंदा के हरनौत के रहने वाले अनूप कुमार ने बताया कि छठ में वह अंतिम बार ट्रेन से पटना आ रहा हैं। अगली बार से वह अपनी गाड़ी से ही गांव जाएंगे। उन्होंने इंटरनेट से एसी श्रेणी में टिकट ले रखा था। टिकट कंफर्म नहीं हुआ तो बगैर टिकट के हो गए।
स्टेशन पर आकर उन्होंने जनरल टिकट लिया। ट्रेन के टीटीई को जुर्माना देकर यहां तक आया हूं। कहा कि जितना जुर्माना देना पड़ा इससे कम खर्च में मैं नालंदा पहुंच जाता।
प्रमुख सभी ट्रेनें आ रहीं हैं फुल
दिल्ली से आने वाली संपूर्ण क्रांति ही नहीं राजधानी एक्सप्रेस, श्रमजीवी एक्सप्रेस, विक्रमशिला एक्सप्रेस, मगध एक्सप्रेस के साथ ही फरक्का, महानंदा व ब्रह्म्पुत्र एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें भी हाउसफुल होकर पहुंच रही है। जनसाधारण जैसी ट्रेनों में खड़े होने तक की जगह नहीं है। यही हाल पुणे एक्सप्रेस, एलटीटी एक्सप्रेस, कुर्ला एक्सप्रेस, संघमित्रा एक्सप्रेस एवं सिकंदराबाद एक्सप्रेस समेत अन्य ट्रेनों का भी है।
किसी भी लंबी दूरी की ट्रेन के एक-एक बर्थ पर चार-पांच लोग बैठकर आने को मजबूर हैं। रेलवे की ओर से पहली बार इतनी संख्या में स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है। इसके बावजूद भी लोगों को ट्रेन में खड़े-खड़े आना पड़ रहा है।