CoronaVirus की जांच रिपोर्ट पर उठे सवाल तो डॉक्टरों ने किया ये खुलासा-100 में 30 हो सकती हैं गलत
CoronaVirus बिहार के कोरोना जांच कर रहे अस्पताल की जांच रिपोर्ट जब संदेह के घेरे में आई तो डॉक्टरों ने इसका खुलासा करते हुए कहा कि 100 में से 30 की जांच रिपोर्ट गलत आ सकती है।
पवन कुमार मिश्र, पटना। कोरोना संक्रमित वैशाली के मृत युवक और खाजपुरा की महिला के नए नमूने की जांच रिपोर्ट एक दिन बाद ही निगेटिव आने पर सवाल खड़े हो गए हैं। पटना के सिविल सर्जन डॉक्टर राजकिशोर चौधरी और पीएमसीएच के कोरोना नोडल प्रभारी डॉक्टर पूर्णानंद झा ने बताया कि नोजल व थ्रोट फ्रैंजिएल (स्वॉब) से आरटीपीसीआर (रियल टाइम पॉलीमरेज चेन रिएक्शन) मशीन से होने वाली सौ में 30 नमूनों की रिपोर्ट गलत आ सकती है। इस मशीन से यदि एक बार पॉजिटिव रिपोर्ट आई तो व्यक्ति संक्रमित है। ऐसा हो सकता है कि 24 घंटे में वह पॉजिटिव से निगेटिव हो जाए।
पॉजिटिव रिपोर्ट में नहीं भ्रम की आशंका
डॉक्टर पूर्णानंद झा के अनुसार आरटीपीसीआर मशीन में यदि किसी व्यक्ति के नेजल स्वॉब की जांच के बाद रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई तो वह संक्रमित होगा ही। नेजल स्वॉब इसलिए ज्यादा प्रभावी माना जाता है क्योंकि वह फेफड़े से सीधे जुड़ा होता है। मगर ऐसा हो सकता है कि वायरस लोड कम यानी माइल्ड स्ट्रेन होने पर 24 घंटे में दोबारा नमूना लेकर जांच कराने पर रिपोर्ट निगेटिव हो सकती है।
बिना दो जांच कराए किसी को नहीं घोषित करते निगेटिव
डॉ. पूर्णानंद झा ने बताया कि 30 प्रतिशत रिपोर्ट गलत की आशंका के कारण ही कोरोना संक्रमित को निगेटिव घोषित करने पर काफी सावधानी बरती जाती है। 24-24 घंटे में दो नमूने लेकर दोनों की रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही किसी पॉजिटिव को निगेटिव घोषित किया जाता है।
पिछले दिनों सिलिकॉन वैली में हुई प्रेस कान्फ्रेंस में अमेरिका की नेब्रास्का बायोकंटेनमेंट यूनिट क्लीनिकल लैबोरेटरी की निदेशक जाना ब्रॉड हस्र्ट ने कहा था कि आरटीपीसीआर मशीन से हो सकता है कि सौ में 30 पॉजिटिव की रिपोर्ट निगेटिव आ जाए। उनका कहना था कि सौ में 30 लोगों के शरीर में हो सकता है कि कोरोना के वायरस हों मगर उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ जाए।
नेशनल लैब से क्रॉस चेक के बाद करेंगे पॉजिटिव घोषित
पटना के सिविल सर्जन डॉ. राजकिशोर चौधरी ने बताया कि शुरुआती चरण में हम आरएमआरआइ में रिपोर्ट पॉजिटिव होने पर नेशनल वायरोलॉजी लैब पुणे या कोलकाता से उसकी क्रॉस चेकिंग कराते थे। प्रदेश में छह लैब होने पर स्थानीय स्तर पर ही क्रॉस चेक कर वर्तमान में रिपोर्ट जारी की जा रही है। हम पुन: पुणे या कोलकाता से रिपोर्ट की क्रॉस चेकिंग पर विचार कर रहे हैं।