शिक्षा पर सवाल : पटना सिटी में सात कमरों में चल रहीं सात स्कूलों की 41 कक्षाएं, जानें पूरी बात
पटना सिटी मोगलपुरा स्थित महिला चर्खा समिति मध्य विद्यालय के एक ही भवन में पांच प्राथमिक व दो मध्य विद्यालय चल रहे हैं। बच्चोें की संख्या केवल कागज पर ही दिखती है। एक कमरे में चौक अंचल के अवर निरीक्षण का कार्यालय भी है। जानें पूरी बात।
अहमद रज़ा हाशमी, पटना सिटी : अनुमंडल अंतर्गत वार्ड 60 के एक स्कूल में पठन-पाठन की चौंकाने वाली व्यवस्था से शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में है। मोगलपुरा स्थित एक मध्य विद्यालय के आठ कमरों वाले भवन में सात स्कूल और चौक अंचल की विद्यालय अवर निरीक्षक का कार्यालय चल रहा है। खंडहर हो चुके भवन में संचालित स्कूल में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। विद्यालय समूह वाले इस भवन में सरकारी शिक्षा हाशिये पर है। छात्र-छात्राओं की सही संख्या की जानकारी किसी भी विद्यालय के पास नहीं है। कागजी आंकड़ों से शिक्षा विभाग इन स्कूलों को संचालित करने की औपचारिकता पूरी कर रहा है।
एक स्कूल में पचास बच्चे भी नहीं :
मोगलपुरा स्थित स्कूल भवन मूल रूप से महिला चर्खा समिति मध्य विद्यालय का है। यहां के सात कमरों में प्रथम पाली में मूल विद्यालय के साथ उर्दू मध्य विद्यालय बागमीर गुलाबी चौक चल रहा है। दूसरी पाली में उर्दू मध्य विद्यालय पक्की गोरैया चौक, कन्या उर्दू प्राथमिक विद्यालय मोगलपुरा, उर्दू प्राथमिक विद्यालय मोगलपुरा बालक, चौक, कन्या उर्दू प्राथमिक विद्यालय पक्की गोरैया और प्राथमिक विद्यालय नेहरू चिल्ड्रेन कबीर मठ चल रहा है। एक कमरे में प्राथमिक विद्यालय के वर्ग एक से पांच में नामांकित सभी बच्चे बैठते हैं। वहीं मध्य विद्यालय में नामांकित वर्ग एक से आठ के सभी बच्चे बैठते हैं। ऐसे में बच्चों की वास्तविक संख्या का अंदाजा लगाया जा सकता है। शिक्षकों की माने तो मूल विद्यालय को छोड़ कर एक स्कूल में पचास बच्चे भी नहीं हैं।
संपोषित क्षेत्र के बच्चे शिक्षा से वंचित:
वार्ड 60 की पार्षद शोभा देवी एवं वार्ड प्रतिनिधि बलराम चौधरी ने बताया कि सरकारी शिक्षा यहां मजाक बन गई है। संपोषित क्षेत्र से उजाड़ कर विभाग ने सभी छह विद्यालयों को यहां स्थानांतरित किया है। ऐसे में इन स्कूलों में संपोषण क्षेत्र के छात्र-छात्राएं नहीं पहुंचते हैं। संपोषित क्षेत्र के बच्चे शिक्षा से वंचित हो गए हैं। मोगलपुरा क्षेत्र के बच्चों का नामांकन ही इन सभी स्कूलों में होता है। विभाग को पूरे मामले से कई बात लिखित में अवगत कराया गया लेकिन सरकारी शिक्षा में सुधार की न तो नीयत है न ही किसी की रुचि।
विभाग की हास्यास्पद कार्रवाई:
एक परिसर में संचालित सात में से छह विद्यालयों को विभाग ने समग्र विद्यालय विकास की राशि आवंटित कर दी है। अपना भवन नहीं होने के कारण यह विद्यालय इस राशि का उपयोग नहीं कर सकते हैं। वहीं, मूल विद्यालय महिला चर्खा समिति मध्य विद्यालय के प्राचार्य प्रदीप कुमार का कहना है कि उन्हें यह राशि विभाग ने नहीं दी है। जबकि भवन उनके स्कूल का है।
क्या कहती हैं बीइओ :
इस बारे में चौक अंचल की विद्यालय अवर निरीक्षक अंजु बाला का कहना है कि विभागीय आदेश से मंदिर, मस्जिद व निजी स्थल पर चलने वाले विद्यालयों को यहां स्थानांतरित किया गया है। एक कमरे में एक स्कूल चल रहा है। जगह की अत्यंत कमी है। एक कमरा में मेरा भी कार्यालय है। जो व्यवस्था होगी उसी में काम करना होगा।