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बिहार: AES से मौत, पानी के लिए किया था हंगामा; 39 लोगों पर दर्ज हुआ FIR, डर से भागे लोग

बिहार के वैशाली जिले में एईएस से मौत और पानी की समस्या को लेकर लोगों ने सीएम का घेराव किया था। अब प्रशासन ने एेसे 39 लोगों पर एफआइआर दर्ज कराया है। खबर मिलते ही लोग फरार हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 25 Jun 2019 03:59 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2019 10:41 PM (IST)
बिहार: AES से मौत, पानी के लिए किया था हंगामा; 39 लोगों पर दर्ज हुआ FIR, डर से भागे लोग
बिहार: AES से मौत, पानी के लिए किया था हंगामा; 39 लोगों पर दर्ज हुआ FIR, डर से भागे लोग

पटना, जेएनएन। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक्‍यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) से पीड़ित लोगों से मिलने मुजफ्फरपुर जाने वाले थे। इसी क्रम में वैशाली जिले के हरिवशंपुर गांव के लोगों को लगा था कि नीतीश कुमार सड़क के रास्ते जाएंगे और इसी उम्मीद में लोगों ने उस रास्ते को जाम कर दिया था। लेकिन यहां इंसाफ के बजाय उल्‍टे लेने के देने पड़ गए हैं। ग्रामीणोंके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दिया गया है। खास बात कि ऐसे लोगों के नाम एफआईआर में दर्ज हैं, जिनके बच्‍चों की एईएस से मौत हो गई है। वहीं एक दिव्‍यांग व्‍यक्ति का नाम भी एफआईआर में है। 

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बताया जाता है कि सड़क जाम से खार खाए प्रशासन हरिवंशपुर के लोगों की इस हरकत से काफी नाराज हो गया और उसने एक साथ 39 लोगों के खिलाफ जिले के भगवानपुर थाने ने एफआईआर दर्ज करा दिया। इनमें 19 लोगों को नामजद बनाया है, जबकि लगभग 20 अज्ञात लोग शामिल हैं। जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुआ है, उनमें चार लोग ऐसे हैं, जिनके बच्चों की एक्‍यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) की वजह से मौत हो गई थी।

खास बात कि एक दिव्‍यांग व्‍यक्ति को भी नामजद अभियुक्‍त बनाया गया है। बता दें, बिहार में अब तक 180 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। इसमें सिर्फ मुजफ्फरपुर में ही 143 बच्‍चों की मौत हुई है, जबकि वैशाली में आधा दर्जन से अधिक की मौत हुई है। 

गांव के जिन लोगों के ऊपर एफआइआर दर्ज की गई है, वे लोग गांव छोड़कर चले गए हैं। उनके रिश्तेदारों ने बताया कि हमारे बच्चे चमकी बुखार से मर गए थे, इसीलिए हमने रोड का घेराव किया था। लेकिन प्रशासन ने हमलोगों के खिलाफ ही एफआइआर दर्ज करा दी है। 

सोमवार को आईएमए के एक दल ने कहा है कि बिहार के मुजफ्फ़रपुर में इंसेफेलाइटिस बीमारी से होने वाली मौतों में ‘लीची' को खाना मुख्य वजह नहीं है, क्योंकि इससे नवजात भी प्रभावित हुए हैं। बीमारी से हुई मौतों की जांच करने वाले इस दल ने कहा कि इनमें कुपोषण और मौजूदा गर्मी व उमस का पर्याप्त योगदान है।

आईएमए के एक दल ने कहा कि पानी की कमी (डिहाइड्रेशन), खून में चीनी की अत्याधिक कमी (हाइपोग्लूकोमिया) और गर्मी लगने की भी खासी भूमिका है। 

आईएमए टीम ने कहा कि इस बीमारी की वजह के बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन अधिक गर्मी, नमी और उमस इसमें एक भूमिका निभाते हैं लेकिन लीची खा लेना इसकी मुख्य वजह नहीं हो सकती है क्योंकि इसकी चपेट में नवजात भी आये हैं।

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