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बिहार की जेलों से बड़ी संख्या में रिहा होने जा रहे हैं कैदी, इस अपराध में सजायाफ्ता को नहीं मिलेगी रियायत

बिहार की जेलों से कैदियों को पेरोल पर रिहा नहीं किया जाएगा। इसके बजाय अधिकतम सजा पूरी कर लेने वाले कैदियों की रिहाई दो से छह माह पहले कर दी जाएगी। इसमें एक साल से लेकर 10 साल के बीच की सजा पाने वाले कैदी शामिल होंगे।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 09:23 AM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 09:23 AM (IST)
कोरोना संक्रमण को देखते हुए कैदियों को जेल से रिहा किया जाएगा। प्रतीकात्मक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: कोरोना संक्रमण को देखते हुए बिहार की जेलों से कैदियों को पेरोल पर रिहा नहीं किया जाएगा। इसके बजाय अधिकतम सजा पूरी कर लेने वाले कैदियों की रिहाई दो से छह माह पहले कर दी जाएगी। इसमें एक साल से लेकर 10 साल के बीच की सजा पाने वाले कैदी शामिल होंगे। इसके अलावा अंडर ट्रायल आरोपितों को भी जमानत पर रिहा किया जा सकता है।

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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पिछले दिनों पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद और जेल आइजी मिथिलेश मिश्रा की समिति ने उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला लिया है। समिति ने इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है। वहां से हरी झंडी मिलते ही माफी के दायरे में आने वाले कैदियों को रिहाई देने का क्रम शुरू हो जाएगा। 

यह होगा रिहाई का मानक

- 10 साल की सजा पाने वाले कैदियों को सजा पूरी होने से छह माह पहले

- 07 से दस साल के बीच सजा पाने वाले कैदियों को पांच माह पहले

- 05 से सात साल के बीच सजा पाने वाले कैदियों को चार माह पहले

- 03 से पांच साल के बीच सजा पाने वाले कैदियों को तीन माह पहले

- 01 से तीन साल के बीच सजा पाने वाले कैदियों को दो माह पहले 

फिलहाल, बिहार की 59 जेलों में 62,365 कैदी बंद हैं, जबकि क्षमता 46,669 कैदियों की ही है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस साल आठ मई को ही सभी राज्यों को जेल से कुछ कैदियों को पेरोल या जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया था। उसके बाद से ही कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया चल रही है। सूत्रों के अनुसार, इस दायरे वाले सौ से अधिक कैदी जेल से बाहर आ सकते हैं। 

कैदियों के वापस आने पर संक्रमण का खतरा

बैठक के दौरान अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद और जेल आइजी मिथिलेश मिश्रा ने कहा कि बिहार की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं, मगर स्थिति अभी नियंत्रण में है। अगर कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाता है, तो कुछ समय बाद उनके वापस जेल लौटने पर संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इससे जेल के अंदर स्थिति बिगड़ भी सकती है। 

गंभीर रूप से बीमार कैदियों को राहत

समिति ने ट्रायल के दौरान ही बीमार कैदियों को चिह्रित कर जमानत देने की भी सिफारिश भी की है। कैंसर, एचआइवी, ल्यूकेमिया, किडनी व डायबिटीज और हृदय रोग से गंभीर रूप से पीडि़त और चिकित्सारत कैदियों को इसमें शामिल किया गया है। 

इन कैदियों को नहीं मिलेगी रियायत

आतंकवाद, मनी लांड्रिंग, भ्रष्टाचार, महिला और बाल हिंसा, आम्र्स एक्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक धोखाधड़ी, एसिड अटैक केस के साथ टाडा, पोटा, यूएपीए, पाक्सो जैसे विशेष कानून के तहत सजायाफ्ता। इसके अलावा एनआइए, सीबीआइ, ईडी और विशेष शाखा जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के द्वारा पड़ताल किए गए मामले में सजायाफ्ता। 


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