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समस्तीपुर में महादलित समुदाय की बच्चियों के साथ नाइंसाफी पर शिक्षा विभाग गंभीर, प्रधान सचिव ने कही बड़ी बात

बिहार के समस्तीपुर जिले में महादलित समुदाय की बच्चियां अन्याय का शिकार हो रही हैं। ये बच्चियां अपनी स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर पा रही हैं। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने इस पर संज्ञान लिया है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Tue, 30 Mar 2021 10:26 AM (IST)Updated: Tue, 30 Mar 2021 10:26 AM (IST)
समस्तीपुर में महादलित समुदाय की बच्चियों के साथ नाइंसाफी पर शिक्षा विभाग गंभीर, प्रधान सचिव ने कही बड़ी बात
बिहार में बाल विवाह का शिकार हो रही बच्चियां। प्रतीकात्मक तस्वीर

पटना, बिहार ऑनलाइन डेस्क। बिहार के समस्तीपुर जिले में महादलित समुदाय की बच्चियों की कम उम्र में शादी किए जाने के मसले पर बिहार के शिक्षा विभाग ने संज्ञान लिया है। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संजय कुमार ने इसे दुखद बताया है। उन्होंने कहा है कि सरकार को ऐसी चीजों की चिंता है। बिहार का शिक्षा विभाग ऐसी चीजों को देख रहा है और इस समस्या को दूर करने के लिए गंभीर है। उन्होंने कहा है कि समस्तीपुर के जिला प्रशासन के साथ तालमेल बनाकर इस समस्या को देखा जाएगा। इस बाबत विभाग के प्रधान सचिव ने मंगलवार की देर रात एक ट्वीट किया है।

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दरअसल यह मसला भी ट्विटर पर ही उठाया गया था। पीपल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया नाम के एक टि्वटर अकाउंट से बिहार के समस्तीपुर जिले में महादलित समुदाय में बाल विवाह इस समस्या को उठाया गया था। इस ट्वीट में कहा गया है कि जिले में महादलित समुदाय की बच्चियां सामाजिक अभिशाप का शिकार हैं। इन बच्चियों को स्कूली शिक्षा बीच में ही छोड़ने के लिए और कम उम्र में शादी के लिए बाध्य किया जा रहा है। कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर इस मसले पर चुप हैं। यह ट्वीट मंगलवार को ही शाम के करीब 8:00 बजे किया गया और इसके करीब ढाई घंटे बाद शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने इसे रीट्वीट करते हुए अपनी बात रखी।

समस्तीपुर जिले में महादलित समुदाय की कुछ बच्चियों ने बाल विवाह के मुद्दे पर अपनी बेबसी बयान की है। इन बच्चियों का कहना है कि अगर वह पढ़ती रह गईं तो उनसे शादी कौन करेगा। गौरतलब है कि बिहार की सरकार बाल विवाह और दहेज के मुद्दे पर काफी गंभीर है। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मसले पर कई बार अपनी राय जाहिर कर चुके हैं। इन दोनों समाजिक कुप्रथाओं को दूर करने के लिए सरकार ने दो कानून भी बनाए हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि इन सामाजिक बुराइयों का अंत बिना समाज के सहयोग के संभव नहीं है।


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