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मरीजों को लेकर निराश लौटते रहे गरीब स्‍वजन, काेविड अस्‍पताल में जगह नहीं, निजी में ऑक्‍सीजन नहीं

बिहार के दूसरे बड़े हॉस्पिटल एनएमसीएच कोविड वार्ड में बेड नहीं रजिस्ट्रेशन बंद का नोटिस चस्पा कर मरीज लौटाए जा रहे हैं। बेबस स्‍वजन बस यहीं पूछ रहे कि निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं सरकारी में जगह नहीं मेरे पास पैसा नहीं मरीज को लेकर अब कहां जाएं

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Sat, 17 Apr 2021 05:56 PM (IST)Updated: Sat, 17 Apr 2021 06:55 PM (IST)
मरीजों को लेकर निराश लौटते रहे गरीब स्‍वजन, काेविड अस्‍पताल में जगह नहीं, निजी में ऑक्‍सीजन नहीं
एनएमसीएच में काेविड मरीज मां को कार से लेकर पहुंचे स्‍वजन। जागरण फोटो।

पटना सिटी, अहमद रजा हाशमी। सूबे के दूसरे बड़े नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शनिवार को सुबह से ही सन्नाटा पसरा था। यहां कोरोना मरीजों के सभी 160 बेड भरे चुके थे। कोविड समर्पित मदर एण्ड चाइल्ड अस्पताल में जगह रजिस्ट्रेशन बंद, बेड की सुविधा उपलब्ध नहीं का नोटिस चस्पा था। एंबुलेंस से मरीज लेकर आने वाले भर्ती करने के लिए रोते-गिड़गिड़ाते रहे। बेड का इंतजाम नहीं हुआ तो स्वजन ने पूछा- मरीज लेकर कहां जाएं? निजी अस्पताल से लौट कर आए हैं। वहां ऑक्सीजन नहीं है। इलाज के लिए रुपया अधिक मांग रहे हैं। ये मरीज मर गया तो इससे जुड़ा पूरा परिवार मर जाएगा। कमाने वाला यही एक है। जब किसी सवाल का कोई जवाब नहीं मिला तो किस्मत को कोसते हुए स्वजन मरीज को लेकर निकल गए। कहां गए किसी को कुछ पता नहीं...

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सुबह दस बजे

धूप तेज होते ही भर्ती मरीज के परिजन अपनी मच्छरदानी, बिस्तर समेटने लगे। कोई तालाब किराने पेड़ की छांव में जा बैठा तो कोई धूप में ही डटा रहा। दूर-दराज से आए परेशानहाल स्वजनों के धूप और धूल से बचने के लिए एक शेड तो विभाग को बनाना ही चाहिए था। ऐसी प्रतिक्रिया यहां-वहां बैठे स्वजनों ने दिया। कोविड अस्पताल के समीप ही पीपीइ किट, ग्लब्स तथा अन्य मेडिकल कचरे का ढेर लगा था।

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में कोरोना जांच कराने वालों की कतार लगी थी। लोगों ने मास्क पहना था लेकिन शारीरिक दूरियां कम थी।

दोपहर 12 बजे

एनएमसीएच के मुख्य द्वार से प्रवेश करते हुए सामने के सहायता केंद्र पर मुस्तैद सुरक्षा गार्ड ही हर आने वाले के सवाल का अपनी समझ अनुसार जवाब देता रहा। केंद्र में बैठी एक नर्स वार्टसअप की दुनिया से जुड़ी थी। यहां के सेंट्रल रजिस्ट्रेशन काउंटर पर आठ-दस लोग नजर आए। यह सभी दूसरी बीमारियों के लिए मरीज का रजिस्ट्रेशन करा रहे थे। तभी इमरजेंसी के समीप लाल कार आकर रुकी। राजवंशी नगर से आए गणेश कुमार ने गेट खोल कर वृद्ध मां सीता देवी को वार्ड ब्यॉय की मदद से बाहर निकाला। इमरजेंसी में ले गए। डॉक्टर से पहले ही बात हो

दोपहर 1:30 बजे

अस्पताल में पसरा सन्नाटा अब खौफनाक लगने लगा था। केवल कोरोना संक्रमित को ही लोग लेकर आ रहे थे। इन्हें लौटना पड़ रहा था। इमरजेंसी के समीप प्रधानमंत्री जन औषधि दुकान पर दवा लेने के लिए लोगों में गुत्थम गुत्थी मची थी। आक्रोश जताते हुए राकेश कुमार ने टेप दिखाया और बोला- अस्पताल में मरीज के लिए टेप तक नहीं है। आम दिनों में चालीस रुपया का टेप इस दुकान से एक सौ रुपया में खरीदा है। लूट मची है। सभी मौका का फायदा उठाने में जुटे हैं। तभी दो-तीन नर्स अधीक्षक कार्यालय की ओर जाती दिखीं। पूछने पर बताया कि रिटायर होने में तीन-चार महीना बचा है। कोरोना वार्ड में ड्यूटी लगा दिया है। अधीक्षक से विनती करने जा रही हूं कि दूसरी जगह ड्यूटी लगा दें।


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