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बिहार के सरकारी स्कूलों की बदहाली, एेसे पढ़ेंगे बच्चे तो आगे कैसे बढ़ेंगे बच्चे, जानिए

बिहार के सरकारी स्कूलों की बदहाली का आलम ये है कि इन स्कूलों में आठवीं क्लास में पढ़ने वाले 71.2 फीसद बच्चे दूसरी क्लास की किताबें भी ठीक से नहीं पढ़ पाते। जानिए इस रिपोर्ट में....

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 03:01 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 06:01 PM (IST)
बिहार के सरकारी स्कूलों की बदहाली, एेसे पढ़ेंगे बच्चे तो आगे कैसे बढ़ेंगे बच्चे, जानिए
बिहार के सरकारी स्कूलों की बदहाली, एेसे पढ़ेंगे बच्चे तो आगे कैसे बढ़ेंगे बच्चे, जानिए

पटना, जेएनएन। बिहार के सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले आठवीं के 71.2 फीसद बच्चे दूसरी कक्षा का पाठ भी ठीक से नहीं पढ़ पाते। महज 72 फीसद आठवीं की छात्राएं दूसरी का पाठ पढ़ पाती हैं, जबकि लड़कों का प्रतिशत 79.2 है। सरकारी स्कूलों की सुविधाएं तो बढ़ी हैं, पर शिक्षकों और छात्रों दोनों की ही उपस्थिति में कमी आई है।

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सरकारी स्कूलों में लड़कियों का नामांकन लड़कों की तुलना में ज्यादा हो रहा है। 11 से 14 आयु वर्ग में जहां 76.3 फीसद लड़कों का नामांकन हुआ है, जबकि लड़कियों का नामांकन फीसद 84.3 है। प्रथम संस्था की ओर से मंगलवार को जारी की गई असर (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) में ये बातें सामने आई हैं। 

असर की रिपोर्ट में बिहार के सभी जिलों के ग्रामीण स्कूलों को सर्वेक्षण की परिधि में रखा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 14 से 16 वर्ष के बच्चों के सर्वे में यह पाया गया कि 65.9 फीसद लड़के ही भाग के सवाल का हल निकाल सकते हैं, जबकि 54.3 फीसद लड़कियां भाग करने में सक्षम हैं। 

आधे से अधिक बच्चे नहीं देख पाते घड़ी 

सरकारी स्कूलों के 14 से 16 आयु वर्ग के आधे से अधिक बच्चे घड़ी देखने में फेल साबित हुए हैं। महज 45.1 प्रतिशत बच्चों ने ही सही समय बताया। सर्वे के लिए 1140 गांवों के 22,817 घरों से 50,338 बच्चों की जानकारी ली गई। जिन बच्चों के बारे में जानकारी ली गई वे तीन से 16 आयु वर्ग के हैं। सर्वेक्षण के दौरान 1100 सरकारी विद्यालयों के हालात का भी जायजा लिया गया।  

प्राइवेट स्कूलों में भी बढ़े विद्यार्थी 

रिपोर्ट के अनुसार सरकारी विद्यालयों के साथ-साथ निजी विद्यालयों में भी नामांकन का प्रतिशत बढ़ा है। 2010 की तुलना में 2018 में 6 से 14 आयु वर्ग के 96.1 प्रतिशत बच्चे का नामांकन स्कूलों में हुआ है। निजी विद्यालयों में 7 से 16 आयु वर्ग के बच्चों का नामांकन प्रतिशत 2010 में जहां महज 4.9 था, वह 2018 में यह 15.6 हो गया है।    

रसोई मिली, मगर शिक्षक गायब

वर्ष 2010 में एक से पांचवीं तक की कक्षा में शिक्षकों की उपस्थिति 84.6 फीसद हुआ करती थी, जो 2018 में घटकर 68.5 फीसद ही रह गई है। उच्च प्राथमिक विद्यालय में 2010 में 80.6 फीसद शिक्षक उपस्थित रहा करते थे, जो 2018 में घटकर 73 फीसद हो गया है।

दूसरी ओर, अच्छी खबर यह है कि मिड डे मील, पेयजल, शौचालय जैसी सुविधाओं में बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2010 में 64 फीसद स्कूलों में मिड डे मील के लिए रसोई की सुविधा थी। 2018 में 91.6 प्रतिशत स्कूलों में रसोई मिली।  


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