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ठंड की आहट से प्रदूषण गंभीरः जाड़े में मानक से तीन से चार गुना बढ़ जाता राजधानी में प्रदूषण

पटना में दिन में गर्मी लेकिन रात में ठंड का अहसास होने लगा है। सूर्य के ढलते ही वातावरण ओस की मात्रा बढ़ जा रही है। समय रहते प्रदूषण को नियंत्रित करने की कोशिश नहीं की गई तो नवंबर और दिसंबर में प्रदूषण की समस्या और गंभीर हो सकती है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 02 Oct 2020 09:45 PM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2020 09:45 PM (IST)
ठंड की आहट से प्रदूषण गंभीरः जाड़े में मानक से तीन से चार गुना बढ़ जाता राजधानी में प्रदूषण
राजधानी में दिन में गर्मी लेकिन रात में ठंड का अहसास होने लगा है।

नीरज कुमार, पटना। राजधानी के वातावरण में ठंड आहट देने लगी है। दिन में गर्मी लेकिन रात में ठंड का अहसास होने लगा है। सूर्य के ढलते ही वातावरण ओस की मात्रा बढ़ जा रही है। इससे वातावरण में प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ती जा रही है। समय रहते प्रदूषण को नियंत्रित करने की कोशिश नहीं की गई तो नवंबर और दिसंबर में प्रदूषण की समस्या और गंभीर हो सकती है। 

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बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. नवीन कुमार का कहना है कि वर्तमान में राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स 90 से लेकर 100 तक रह रहा है। ठंड आते ही धीरे-धीरे इसमें वृद्धि होने लगी है। पूर्व के वर्षों में देखा गया है कि जाड़े के दिनों में खासकर दिसंबर एवं जनवरी में राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से 400 पहुंच जाता है। यह मानव जीवन के लिए अत्यंत खतरनाक है। एयर क्वालिटी इंडेक्स 100 से नीचे है, तो इसे मानव स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है। 

सड़कों पर पड़ी धूलकण प्रदूषण का मूल कारण 


पर्यावरणविद् एवं तरुमित्र के संस्थापक फादर राबर्ट अर्थिकल का कहना है कि राजधानी में धूलकण प्रदूषण का मूल कारण है। राजधानी के सटे गंगा का बहाव है। इसके अलावा गंगा के बालू से ही शहर के घरों में भराव होता है। गंगा से बालू भरने के कारण शहर की सड़कों पर बालू की मोटी परत पड़ी रहती है। क्योंकि अधिकांश लोग टै्रक्टर से बालू की ढुलाई करते हैं। बालू की ढुलाई ठीक से नहीं होने के कारण काफी मात्रा में गंगा की बालू सड़कों पर पड़ी रहती है। जैसे ही कोई वाहनों सड़क से गुजरता है। बालू पूरे वातावरण में फैल जाता है। तेज हवा या आंधी चलने पर तो गंगा का बालू पूरे शहर में उड़ता रहता है। 

पुराने वाहन भी बढ़ा रहे प्रदूषण 


विशेषज्ञों का कहना है कि राजधानी में वर्तमान में लगभग 20 लाख वाहन चल रहे हैं। यहां पर लगभग 5 लाख से अधिक निजी कार हैं। इसके अलावा 50 हजार से अधिक शहर में टैंपो चलाए जा रहे हैं। सरकारी एवं निजी बस तथा ट्रक भी बड़े पैमाने पर चल रहे हैं। राजधानी में सबसे ज्यादा संख्या मोटरसाइकिल की है। इन वाहनों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड एवं अन्य गैसों की मात्रा शहर में लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है।


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