आइआइटी दिल्ली के साथ रिसर्च करेगा प्रदूषण बोर्ड
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद एवं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइआइटी) के बीच हुआ करार
पटना। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद एवं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइआइटी) दिल्ली राज्य में प्रदूषण के नियंत्रण के लिए संयुक्त रूप से अध्ययन करेंगे। इसके लिए दोनों संगठनों के बीच एक समझौता किया गया है। दोनों संगठन मिलकर एक वर्ष तक रिसर्च का काम करेंगे।
राज्य में प्रदूषण पर रिसर्च के लिए आइआइटी दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. सग्निक डे को प्रधान विज्ञानी नियुक्त किया गया है। उन्हीं की देखरेख में राज्य में रिसर्च होगा। मालूम हो कि राज्य में पटना, गया एवं मुजफ्फरपुर पहले से ही देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हो चुके हैं।
पर्षद के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार घोष का कहना है कि रिसर्च के लिए जल्द ही पर्षद की ओर से विज्ञानियों की पहचान की जाएगी। उन विज्ञानियों को आइआइटी दिल्ली में 10 दिनों तक प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के उपरांत उन्हें राज्य में प्रदूषण के रिसर्च के लिए लगाया जाएगा। पुआल जलाने से फैलने वाले प्रदूषण पर भी ध्यान
राज्य सरकार प्रदेश में पुआल जलाने पर प्रतिबंध लगा चुकी है, लेकिन अभी भी कई जिलों के किसान खेतों में पुआल जला रहे हैं। इससे प्रदूषण की मात्रा वातावरण में बढ़ रही है। इस पर प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के विज्ञानी गांवों में जाकर विशेष रिसर्च करेंगे। पर्षद की ओर से इसके लिए सेटेलाइट डाटा का भी उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा बोर्ड यह भी रिसर्च करेगा कि जिन इलाके में सर्वाधिक प्रदूषण फैल रहा है, वहां पर प्रदूषण को कैसे नियंत्रित किया जाए। बोर्ड नए प्रदूषित शहरों की पहचान करेगा। विज्ञानी वायु की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए गेंस मॉडल का उपयोग करेंगे, ताकि बेहतर तरीके से डाटा का उपयोग किया जा सके। रिसर्च में विश्व बैंक परियोजना एवं राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के मानकों का भी ख्याल रखा जाएगा।