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बिहार: गोलबंद होने लगे राजनीतिक दल: NDA में मधुर होने लगे रिश्‍ते, महागठबंधन को दिल्‍ली का इंतजार

बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले की आहट है। फासले मिटाकर फैसले लेने का वक्त है। ऐसे में वैमनस्य को विनम्रता में बदला जा रहा है। गिले-शिकवे को दरकिनार किया जा रहा है।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 08:00 PM (IST)Updated: Sat, 01 Feb 2020 07:28 AM (IST)
बिहार: गोलबंद होने लगे राजनीतिक दल: NDA में मधुर होने लगे रिश्‍ते, महागठबंधन को दिल्‍ली का इंतजार
बिहार: गोलबंद होने लगे राजनीतिक दल: NDA में मधुर होने लगे रिश्‍ते, महागठबंधन को दिल्‍ली का इंतजार

पटना, अरविंद शर्मा। बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले की आहट है। फासले मिटाकर फैसले लेने का वक्त है। ऐसे में वैमनस्य को विनम्रता में बदला जा रहा है। गिले-शिकवे को दरकिनार किया जा रहा है। खाई-खंदक को पाटने का प्रयास किया जा रहा है। भाजपा-जदयू ने पहल कर दी है। महागठबंधन के घटक दलों को अगले पखवाड़े की प्रतीक्षा है। तब तक दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे भी आ जाएंगे। 

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जदयू के फैसले ने आशंकाओं पर लगाया विराम

प्रशांत किशोर (पीके) और पवन वर्मा की जदयू से विदाई के साथ ही विधानसभा चुनाव को लेकर राजग की तस्वीर साफ हो गई है। नागरिकता संशोधन कानून के बाद एनआरसी और एनपीआर के मसले पर जिस तरह जदयू-भाजपा के बीच अंतरद्वंद्व चल रहा था, उससे कयास लगाए जा रहे थे कि सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर दोनों दलों के संबंधों में खटास आ सकती है। प्रशांत किशोर और पवन वर्मा के बोल-वचन से भी भाजपा नेतृत्व परेशान हो रहा था, किंतु सही वक्त पर जदयू ने फैसला लिया और सभी तरह की आशंकाओं पर विराम लगा दिया।

आतंरिक अनुशासन के मोर्चे को किया दुरुस्‍त

पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा और लोजपा के साथ गठबंधन की गांठ को मजबूत किया और फिर बागी तेवर वाले नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाकर दल के आंतरिक अनुशासन के मोर्चे को दुरुस्त किया। जदयू के इस फैसले से भाजपा-जदयू के रिश्ते में तकरार की तलाश करने वाले राजनीतिक प्रेक्षकों को निराशा हाथ लगी है, क्योंकि राजग के तीनों घटक दलों की गांठ अब पहले की तरह गहरी दिखने लगी है। 

महागठबंधन को दिल्ली का इंतजार 

राजग विरोधी खेमे में पहले से घोषित पांचों दलों में समन्वय की स्थिति अभी पूरी तरह साफ नहीं है, किंतु सबको दिल्ली चुनाव का बेसब्री से इंतजार है। दावा किया जा रहा है कि 11 फरवरी को नतीजे आने के बाद महागठबंधन के पांचों दलों के आलाकमान एक साथ बैठेंगे और राजनीतिक गोलबंदी का आधार तैयार कर लिया जाएगा। महागठबंधन में समन्वय समिति बनाने के लिए हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी सहयोगी दलों पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं। मुख्यमंत्री प्रत्याशी के मुद्दे पर राजद से उनकी भिड़ंत भी हो चुकी है। मांझी का मानना है कि गठबंधन में मजबूती तभी आएगी जब सभी घटक दल मिलकर मुख्यमंत्री का प्रत्याशी तय करेंगे। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मांझी के प्रस्ताव से सहमति से जताकर एक तरह से साफ कर दिया है कि महागठबंधन के बड़े दल भी मतभेद की स्थिति नहीं आने देंगे। 


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