बिहार में एनडीए से लड़ाई चिराग पासवान को पड़ी महंगी, अगले चुनाव में जीत की राह में कई रोड़े
चिराग का राजग (खासकर जदयू) के उम्मीदवारों को हराने की घोषणा भी हवा-हवाई साबित हुई। चाचा-भतीजा के राजनीतिक विरासत की लड़ाई के बीच यह उपचुनाव चिराग के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न था लेकिन परिणाम से स्पष्ट है कि उन्हें राजग से राजनीतिक लड़ाई लेनी भी महंगी पड़ी।
दीनानाथ साहनी, पटना : बिहार विधानसभा की दो सीटों के उपचुनाव के नतीजे से साफ हो गया कि लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान का हेलीकाप्टर (चुनाव चिह्न) न जमीन पर उतरा, न ही जनता के बीच उड़ान भर पाया। इसी के साथ चिराग का राजग (खासकर जदयू) के उम्मीदवारों को हराने की घोषणा भी हवा-हवाई साबित हुई। चाचा-भतीजा के राजनीतिक विरासत की लड़ाई के बीच यह उपचुनाव चिराग के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न था, लेकिन परिणाम से स्पष्ट है कि उन्हें राजग से राजनीतिक लड़ाई लेनी भी महंगी पड़ी। इससे यह भी तय हो गया कि 2024 में लोकसभा और 2025 में विधानसभा का चुनाव की राह भी उनके लिए चुनौती भरी सिद्ध होने वाली है।
- - कुशेश्वरस्थान और तारापुर चुनाव में नहीं उड़ा चिराग पासवान का हेलीकाप्टर
- - राजग को हराने का दावा करने वाले जमुई सांसद चिराग पासवान की लुटिया डूबी
- - पिछले चुनाव में लोजपा को हासिल वोटों की तुलना में इस बार 50 प्रतिशत मत भी नहीं मिले
कुशेश्वस्थान में चिराग के उम्मीदवार को महज 5,623 वोट
चिराग ने कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र से अंजु देवी को अपना उम्मीदवार बनाया था। उन्हें महज 5,623 वोट से संतोष करना पड़ा। हालांकि वह इतना वोट पाकर भी तीसरे स्थान पर रहीं, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव की लोजपा उम्मीदवार पूनम कुमारी की तुलना में उन्हें 50 प्रतिशत से भी कम वोट मिले। पूनम कुमारी तीसरे स्थान पर रही थीं और उन्हें 13,362 वोट मिले थे।
तारापुर में 5,350 वोट से करना पड़ा संतोष
तारापुर सीट से चिराग ने चंदन सिंह को उम्मीदवार उतारा था, लेकिन उन्हें भी 5,350 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहना पड़ा। पिछले चुनाव में यहां से लोजपा की मीना देवी तीसरे स्थान पर रही थीं और उन्हें 11,264 वोट मिले थे। उपचुनाव में पार्टी के इस पराभव से चिराग के समर्थकों में घोर निराशा है, तो वहीं राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस के खेमे में खुशी का माहौल है।