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रिजल्ट घोटाला : शातिर घोटालेबाज विकास गिरफ्तार, उगले कई अहम राज

रिजल्ट घोटाले का मास्टर माइंड और शातिर विकास सिंह को पुलिस ने पश्चिम बंगाल के महेशथला से गिरफ्तार कर लिया है। उसने ही इंटर की उत्तर पुस्तिका का फर्जी अॉर्डर दिया था।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 10 Aug 2016 11:35 AM (IST)Updated: Wed, 10 Aug 2016 05:28 PM (IST)
रिजल्ट घोटाला : शातिर घोटालेबाज विकास गिरफ्तार, उगले कई अहम राज

पटना [जेएनएन]। इंटर परीक्षा की उत्तर पुस्तिका छापने का फर्जी वर्क ऑर्डर देकर गुजरात के बिंदिया इंटरप्राइजेज प्रिंटिंग प्रेस को 8.56 करोड़ रुपये की चपत लगाने वाला विकास सिंह मंगलवार को पश्चिम बंगाल के 24 दक्षिणी परगना स्थित महेशथला से गिरफ्तार कर लिया गया।

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पुलिस उसे बंगाल कोर्ट में प्रस्तुत करने के बाद ट्रांजिट रिमांड पर पटना लाने की तैयारी में है। विकास बिहार इंटरमीडिएट काउंसिल के माध्यमिक प्रभाग में स्टोर कीपर (भंडारक) के पद पर कार्यरत है।

सरकार को भी लगाई 55 करोड़ की चपत

टेंडर के खेल में सिर्फ प्रिंटिग प्रेस को ही नहीं ठगा गया बल्कि सरकार को भी 55 करोड़ रुपये की चपत लगाई गई। दरअसल, पूर्व बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद ने दामाद विवेक रंजन के कहने पर इंटर परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिका छापने का ठेका मथुरा के केसी प्रिंटर्स को दिया था, जबकि टेंडर में सबसे कम दर पर छपाई के लिए गुजरात के अहमदाबाद की बिंदिया इंटरप्राइजेज ने आवेदन दिया था।

इसकी वजह से सरकार को 55 करोड़ रुपये के राजस्व की क्षति हुई। एक तरफ बोर्ड ने मथुरा की कंपनी को टेंडर दे दिया जबकि दूसरी तरफ स्टोर कीपर विकास ने जाली दस्तावेज बना बिंदिया इंटरप्राइजेज से 8.56 करोड़ रुपये की कॉपियां मंगवा ली।

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मेरिट घोटाले की खबर पर की शिकायत

मेरिट घोटाले में बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर और पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा की गिरफ्तारी की जानकारी मिलते ही बिंदिया इंटरप्राइजेज के मालिक बृजल कुमार भरत भाई साह एक माह पहले पटना आए। बोर्ड कार्यालय के कई चक्कर काटने के बाद उन्हें मालूम हुआ कि उन्हें फर्जी वर्क ऑर्डर दिया गया था। तब रविवार को उन्होंने कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। प्राथमिकी में बताया कि विकास ने उन्हें वर्क ऑर्डर दिया था।

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घोटाले में सरकारी गवाह है विकास

बिहार बोर्ड में 55 करोड़ रुपये के प्रिंटिंग घोटाले में पुलिस ने विकास सिंह को पहले भी हिरासत में लिया था। हालांकि उसके विरुद्ध साक्ष्य न मिलने के बाद पुलिस ने उसे रिहा कर दिया था। विकास ने विवेक रंजन, लालकेश्वर सहित अन्य लोगों के काले चिठ्ठे खोले थे, इसलिए एसआइटी ने सरकारी गवाह कोर्ट में उसका बयान कलमबद्ध कराया था।

परीक्षा की गलत तारीख बताई

टेंडर दिलाने के नाम पर विकास ने बृजल कुमार भरत भाई साह से चार लाख रुपये लिए थे। फिर उसे जाली वर्क ऑर्डर और परीक्षा की फर्जी तिथि भेजी। उन फर्जी दस्तावेजों पर पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा के हस्ताक्षर हैं। विकास ने इंटर की परीक्षा की तिथि 11 अप्रैल से 30 जून तक बताई। इसी बीच कॉपियां भी मंगाई गईं जबकि परीक्षा मार्च-अप्रैल में हुई थी।

रद्दी में बेच डालीं उत्तर पुस्तिकाएं

अनुसंधान के क्रम में एसआइटी को जानकारी मिली कि बिंदिया इंटरप्राइजेज की कॉपियां विकास के कहने पर जीरोमाइल के समीप एक वेयर हाउस में रखी गईं। वहां से उन्हें रद्दी के भाव बेच दिया गया। इससे विकास को करीब दो करोड़ रुपये की कमाई हुई। हालांकि वह इस रकम का अकेला हकदार नहीं है। पूछताछ के बाद ही उसके सहयोगियों का पता चल पाएगा।

कहा - डीआइजी, सीआइडी ने

प्रिंटिंग घोटाले में आरोपी विकास को पश्चिम बंगाल पुलिस के सहयोग से गिरफ्तार कर लिया गया है। उसे ट्रांजिट रिमांड पर पटना भेजा जा रहा है।

दिलीप अदाक, डीआइजी, सीआइडी (ऑपरेशन), कोलकाता


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