शराब पीकर बिहार में आखिर क्यों मर रहे लोग, जो बच गए; उनकी गई आंख, डॉक्टर ने बताई असली वजह
Sharab Kand नशीली शराब जहरीली कैसे हो जाती है? शराब पीकर बिहार में क्यों मर रहे इतने अधिक लोग? सबसे पहले जाती है आंख की रोशनी अस्पताल जाने के बाद भी जा रही जान डाक्टर ने बताई इसकी असली वजह
छपरा, जागरण संवाददाता। सारण में ज़हरीली शराब से एक के बाद एक 18 लोगों की मौत हो चुकी है। इन लोगों की मौतों के बाद लोगों के जेहन में एक एक सवाल उठ रहा है कि आख़िर कच्ची शराब यानि देसी शराब बनाने में क्या ग़लती होती है कि इससे यह ज़हर बन जाता है। क्योकि ऐसा नहीं है कि देसी शराब बनाने, बेचने और पिलाने का धंधा नया है। देसी शराब के कारोबार में ज़हर का क़हर कोई पहली बार नहीं टूटा है। जबसे ये कारोबार है तब से इस तरह की मिलावट का सिलसिला जारी है। देसी शराब जिसे आम बोलचाल की भाषा में कच्ची दारू भी कहते हैं। इसे अधिक नशीला बनाने के चक्कर में ही यह ज़हरीली हो जाती है।
सामान्यत: इसे गुड़, शीरा से तैयार किया जाता है, लेकिन इसमें यूरिया और भांग की पत्तियां डाल दी जाती हैं ताकि इसका नशा तेज़ और टिकाऊ हो जाए। यह जानकारी शहर के चिकित्सक डा. राजीव सिंह व डा. अमरेंद्र कुमार सिन्हा ने दी। आक्सिटोसिन की अधिक मात्रा से होती है मौत दोनों चिकित्सकों ने बताया कि शराब को अधिक नशीला बनाने के लिए इसमें आक्सिटोसिन मिला दिया जाता है जो सबसे जयादा मौत का कारण बनती है।
आक्सिटोसिन से नपुंसकता और नर्वस सिस्टम से जुड़ी कई बीमारियां उत्पन्न हो जाती है। इसके सेवन से आखों में जलन, पेट दर्द और अधिक सेवन से आखों की रोशनी भी जा सकती है। कच्ची शराब में यूरिया और आक्सिटोसिन जैसे केमिकल पदार्थ मिलाने की वजह से मिथाइल एल्कोहल बन जाता है जो लोगों की मौत का कारण बन जाता है।
चिकित्सक डा. अमरेंद्र कुमार सिन्हा ने बताया कि सामान्य शराब एथाइल एल्कोहल होती है जबकि ज़हरीली शराब मिथाइल एल्कोहल कहलाती है। कोई भी एल्कोहल शरीर में लीवर के ज़रिए एल्डिहाइड में बदल जाती है, लेकिन मिथाइल एल्कोहल फार्मेल्डाइड नामक के ज़हर में बदल जाता है। यह ज़हर सबसे ज़्यादा आंखों पर असर करती है। किसी ने बहुत ज़्यादा शराब पी ली है तो इससे फार्मिक एसिड नाम का ज़हरीला पदार्थ आंखों की रोशनी छिन लेता है।