PM मोदी की वर्चुअल रैली में बोले CM नीतीश, बिना काम को देखे कुछ भी बोलते रहते हैं कुछ लोग
PM Modi Virtual Rally गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्चुअल रैली में सीएम नीतीश कुमार ने सरकार के काम बताए। यह भी कहा कुछ लोग बिना जाने कुछ भी भी बोलते रहते हैं।
पटना, राज्य ब्यूरो। PM Modi Virtual Rally: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने गुरुवार को कहा कि आजकल कुछ लोग बिना काम को देखे कुछ का कुछ बोलते रहते हैैं। प्रधानमंत्री द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना व बिहार की कई अन्य योजनाओं के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री ने यह बात कही। उन्होंने मत्स्य संपदा योजना काफी लाभकारी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के उत्थान के लिए आकलन और अध्ययन के बाद काफी काम हुआ है। यहां तो कोई जानता ही नहीं था मछली उत्पादन। यहां के किसानों को समूह में सेंट्रल इंस्टीच्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन, काकीनाडा (आंध्रप्रदेश) ले जाएगा। कोलकाता स्थित सेंट्रल इनलैैंड फिशरीज इंस्टीच्यूट भी ले गए। उन्हें प्रशिक्षण दिलाया गया। इसका असर हुआ कि अब मात्र हजार मीट्रिक टन मछली ही बिहार में बाहर से आ रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में 89 प्रतिशत लोग गांव में रहते हैैं और यहां की 76 प्रतिशत आबादी की जीविका कृषि पर आश्रित है। इनके उत्थान के लिए काफी अध्ययन के बाद काम हुआ। बिहार में 2008 से 2012 के बीच पहले कृषि रोड मैप पर काम हुआ। इसके बाद 2012-17 के बीच दूसरे कृषि रोड मैप व 2017-22 के बीच तीसरे कृषि रोड मैप पर काम चल रहा। इसका काफी फायदा हुआ। यही नहीं बिहार में पहले अंडा भी आंध्र प्रदेश से आता था। वर्ष 2007-08 के बीच यहां प्रतिवर्ष 106 करोड़ अंडा का उत्पादन होता था जो अब 274 करोड़ हो गया है।
मुख्यमंत्री ने चौर क्षेत्र की योजना पर भी बात की। उन्होंने कहा कि बिहार में नौ लाख हेक्टेयर में चौर है। यह ऐसा क्षेत्र है जहां साल में मुश्किल से एक महीने पानी नहीं रहता। वहां के लोगों को यह सलाह दी गयी कि चौर के एक हिस्से को औैर गड्ढा कर तालाब बना लें। और उससे निकली मिट्टïी को शेष हिस्से में भरकर उस पर फल-फूल की खेती करें। इसी तरह घोड़परास से हो रहे फसल के नुकसान से बचने के लिए लेमन ग्रास और खस लगाने पर काम हो रहा। इससे घोड़परास नहीं आएगा।
मुख्यमंत्री ने यह बिहार में कृषि से जुड़ी शैक्षिक व्यवस्था पर भी चर्चा की। यह बताया कि किशनगंज में जो कृषि महाविद्यालय है उतना बड़ा परिसर पूरे देश में किसी कृषि कॉलेज का नहीं। कृषि कॉलेज में पढऩे वाले छात्र पहले बीच में ही पढ़ाई छोड़कर चले जाते थे। उन्हें छह हजार रुपए किताब के लिए व प्रति माह दो हजार रुपए अन्य खर्च के लिए दिए जा रहे हैं।