Pitru Paksha Lockdown: मोक्षभूमि में पितृपक्ष पर लॉकडाउन, पिंडवेदियां सूनी, मेला क्षेत्र में सन्नाटा
Pitru Paksha Lockdown इस साल गया में पितृपक्ष मेला के आयोजन पर कोरोना का ब्रेक लग गया है। विष्णुपद मंदिर के कपाट बंद मो पिंडवेदियां सूनी हैं। मेला क्षेत्र में भी सन्नाटा है।
गया, कमल नयन। 17 दिवसीय पितृपक्ष दो सितंबर से शुरू हो चुका है, लेकिन इसके लिए विश्व भर में प्रसिद्ध मोक्ष नगरी गया में सन्नाटा पसरा है। कोरोना संक्रमण के कारण पितृपक्ष मेला भी लॉकडाउन हो गया है। कोरोना के कारण धार्मिक-सामाजिक आयोजनों पर रोक लगी हुई है। इसे देखते हुए राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने पितृपक्ष मेला 2020 को भी स्थगित कर दिया है। आज पहले दिन मेला क्षेत्र में कोई यात्री नजर नही आ रहा है। मेला क्षेत्र में दुकानें खुली हैं, लेकिन ग्राहक नहीं हैं।
गया की सीमाएं सील, तीर्थयात्रियों की एंट्री पर रोक
पितृपक्ष मेले तक गया में अंतरजिला एवं अंतरराज्यीय सीमाओं को सील कर दिया गया है। मेला अवधि तक गया में तीर्थयात्रियों की एंट्री नहीं होगी। इन जगहों पर सीलिंग प्वाइंट निर्धारित कर दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी व जवानों की प्रतिनियुक्ति की गई है, ताकि जिले में पितृपक्ष में आने वाले तीर्थयात्रियों को प्रवेश से रोका जा सके। जिला के प्रवेश करने वाले मार्गों पर बैरियर लगा कर जांच की जा रही है तथा तीर्थ यात्रियों को वापस भेजा जा रहा है। तीर्थ यात्री गयाजी तक नहीं पहुंचें, इसके लिए एक सूचना भी सोशल मीडिया पर भी प्रसारित की गई है।
पितृपक्ष मेले के स्थगन को लेकर सख्त निर्णय
गया जिला प्रशासन ने बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के विशेष सचिव के आदेश के अनुसार पितृपक्ष मेले 2020 के स्थगन को लेकर सख्त निर्णय लिए हैं। निर्देश नहीं मानने वाले तीर्थ यात्रियों के खिलाफ महामारी अधिनियम 1857 सहित अन्य कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी। सभी अनुमंडल पदाधिकारी व अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी व पुलिस उपाधीक्षक अपने-अपने क्षेत्रों में पूरी ऐहतियात व सतर्कता के लिए जिम्मेदार बनाए गए हैं।
विष्णुपद मंदिर के कपाट बंद, मेला क्षेत्र भी सुनसान
इस बीच पितृपक्ष में श्रद्धालुओं से भरे रहने वाले विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर का कपाट बंद है। मेला क्षेत्र भी सुनसान है। सभी 54 पिंडवेदियाें, विष्णुपद, देवघाट व फल्गु नदी का भी यही हाल है। है। श्रद्धालु पूर्णिमा के दिन फल्गु नदी में पांव पूजन कर गया में श्राद्ध के कर्मकांड शुरू करते थे, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है। पितरों को जलांजलि देने वाले पुत्र नजर नहीं आ रहे हैं। पिंडदान के मुख्य पुरोहित गयापाल पंडा भी अपने अपने घरों पर हैं।
शुरू नहीं हो सकी ई-पिंडदान की व्यवस्था
वैकल्किप व्यवस्था के तौर पर पर्यटन विभाग ने ई-पिंडदान की व्यवस्था शुरू करने वाला था, लेकिन इस साल अभी तक यह शुरू नहीं किया जा सका है। जबकि, साल 2019 में पर्यटन विभाग ने ई-पिंडदान का पैकेज तैयार किया था। जीएसटी के साथ यह पैकेज 19950 रुपये का था। हालांकि, गया के पिंडदान कराने वाला पंडा समाज ई-पिंडदान को धार्मिक मान्यता नहीं दे रहा है।