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पटना विश्वविद्यालय में 2019 तो पीपीयू में अब तक नहीं हुआ पीएचडी इंट्रेंस टेस्ट

पटना और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में भी शोध की गति धीमी है। राज्य के विश्वविद्यालयों में हर वर्ष पीएचडी के लिए इंट्रेंस परीक्षा नहीं होने के कारण अभ्यर्थियों को शोध का मौका नहीं मिल रहा है। यही नहीं जूनियर रिसर्च फेलोशिप होने के बाद भी कई अभ्यर्थी इधर-उधर भटक रहे हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 08:20 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 08:20 AM (IST)
पटना विश्वविद्यालय में 2019 तो पीपीयू में अब तक नहीं हुआ पीएचडी इंट्रेंस टेस्ट
पटना विश्वविद्यालय में 2019 तो पीपीयू में अब तक नहीं हो पाया है पीएचडी इंट्रेंस टेस्ट।

पटना, जेएनएन। शोध को लेकर विश्वविद्यालयों की गति धीमी होने का असर राज्य के अभ्यर्थियों पर दिख रहा है। राजधानी के पटना और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में भी शोध की गति धीमी है। राज्य के विश्वविद्यालयों में हर वर्ष पीएचडी के लिए इंट्रेंस परीक्षा नहीं होने के कारण अभ्यर्थियों को शोध का मौका नहीं मिल रहा है। यही नहीं, जूनियर रिसर्च फेलोशिप होने के बाद भी कई अभ्यर्थी इधर-उधर भटक रहे हैं। राज्य में हो रहे सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति में भी अंकों की कमी के कारण अभ्यर्थी पिछड़ रहे हैं।

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पटना विश्वविद्यालय में अंतिम बार फरवरी 2019 में इंट्रेंस टेस्ट हुआ था। मार्च 2018 में बने पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में अब तक इंट्रेंस टेस्ट नहीं हुआ है। 2020 में जनवरी में प्रक्रिया आरंभ हुई, लेकिन अब तक प्रवेश परीक्षा नहीं ली गई। इससे जहां रिसर्च के क्षेत्र में कार्य रुका है, वहीं राज्य के अभ्यर्थियों को पीएचडी करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

पाटलिपुत्र विवि में अब तक पीजी व व्यावसायिक कोर्स में नामांकन नहीं

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का एकेडमिक कैलेंडर पूरी तरह बेपटरी है। विवि में 2019 के जुलाई में नामांकन होने वाली प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा अभी चल रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह परीक्षा दिसंबर 2019 या जनवरी 2020 तक संपन्न हो जानी चाहिए थी। यही नहीं, विवि में अब तक पीजी व व्यावसायिक कोर्सों में नामांकन नहीं हुआ है। इसके लिए इंट्रेंस टेस्ट 10 दिसंबर को निर्धारित है।

पटना विश्वविद्यालय में बनाया जा रहा रिसर्च भवन 

पटना विश्वविद्यालय में रिसर्च भवन बनाया जा रहा है। रूसा के फंड से करीब चार करोड़ की लागत से बन रहा है। यह 2021 के दिसंबर या जनवरी तक छात्रों को सुपुर्द कर दिया जाएगा।

प्रो. गिरीश कुमार चौधरी, कुलपति, पटना विश्वविद्यालय


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