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Coronavirus Effect: गुजरात-महाराष्ट्र में काम ले रहे लोगों ने खड़े किए हाथ, बेचैन हैं बिहार के प्रवासी कामगार

गुजरात-महाराष्ट्र में टेक्सटाइल्स डायमंड ज्वेलरी व सर्विस सेक्टर में नहीं है काम। दो दिनों में सर्वाधिक श्रमिक स्पेशल इन्हीं दो राज्यों से। वहीं कर्नाटक और दक्षिण की स्थिति अलग।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Thu, 07 May 2020 08:00 PM (IST)Updated: Thu, 07 May 2020 08:00 PM (IST)
Coronavirus Effect: गुजरात-महाराष्ट्र में काम ले रहे लोगों ने खड़े किए हाथ, बेचैन हैं बिहार के प्रवासी कामगार
Coronavirus Effect: गुजरात-महाराष्ट्र में काम ले रहे लोगों ने खड़े किए हाथ, बेचैन हैं बिहार के प्रवासी कामगार

पटना, भुवनेश्वर वात्स्यायन। बिहारी कामगारों के लिए कर्नाटक सरकार ने पैकेज का एलान कर उन्हें अपने यहां रोक लिया है। वहीं, महाराष्ट्र और गुजरात के बड़े कारोबारियों व उद्यमियों का रुख इसके ठीक उलट है। वे चाहते हैं कि प्रवासी कामगार जितनी जल्दी हो सके यहां से निकल लें। इसके पीछे व्यावसायिक गतिविधियों का ठप होना है। यही वजह है कि गुजरात और महाराष्ट्र से आने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की संख्या सबसे अधिक है। कर्नाटक और दक्षिण के राज्यों में निर्माण से जुड़े श्रमिक हैं, इसलिए उन्हें रोका जा रहा। सबसे दिलचस्प बात यह है कि तेलंगाना में काम करने वाले 222 मजदूर बुधवार को खगडिय़ा से वापस हैदराबाद उस ट्रेन से लौट गए जो वहां प्रवासी मजदूरों को लेकर पहुंची थी। ये मजदूर होली की छुट्टी में यहां आए थे।

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महाराष्ट्र में प्रवासी बिहारी कामगारों के सामने संकट

महाराष्ट्र के प्रवासी बिहारी कामगारों का संकट यह है कि उन्हें उनके नियोक्ताओं ने यह कह दिया है कि अब किसी भी हाल में उन्हें पगार नहीं दी जाएगी। थाणे, कल्याण व भिवंडी आदि जगहों में बिहारी मजदूरों की संख्या काफी है। दवा, टेक्सटाइल्स व सर्विस सेक्टर इंडस्ट्री में इनकी खासी संख्या है। लॉकडाउन की वजह से काम तो बंद है ही साथ में महाराष्ट्र में मानसून के दौरान यानी अप्रैल से जून तक बहुत ही कम काम होता है। इन महीनों में वहां काम कर रहे बिहार के प्रवासी कामगार वापस लौटते रहे हैं। इसलिए यह तय ही था कि प्रवासी कामगार लौटेंगे, पर इस अवधि के लिए भी उन्हें कुछ पैसा इस वजह से मिल जाता था कि वे लौट कर फिर आएं। इस बार यह बात नहीं है। छह मई को महाराष्ट्र से तीन ट्रेनें क्रमश: दरभंंगा और सहरसा के लिए आयीं। लगभग तीन हजार श्रमिक लौटे। सात मई को महाराष्ट्र से पांच ट्रेनें क्रमश: दानापुर, अररिया, मुजफ्फरपुर, बरौनी व पूूर्णिया पहुंचीं।

गुजरात की यह है परेशानी

गुजरात में प्रवासी बिहारी कामगारों की परेशानी इस बात को लेकर है फिलहाल कुछ महीनों तक टेक्सटाइल्स और डायमंड ज्वेलरी उद्योग में कोई काम नहीं है। प्रवासी बिहारी कामगार इन्हीं उद्योगों में अधिक हैं। इनके नियोक्ताओं ने काम नहीं रहने की बात कह इन्हें वेतन देने से इंकार कर दिया है। सूरत में इस वजह से हंगामा भी हुआ। गुजरात से सात मई को आठ ट्रेनें क्रमश: बरौनी, छपरा, पूर्णिया, गया, मुजफ्फरपुर, कटिहार, पूर्णिया और बेतिया के लिए आईं। गुजरात से ही चार ट्रेन छह मई को बरौनी, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर के लिए आईं थीं। आठ मई को गुजरात चार और ट्रेन पूर्णिया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर और भोजपुर के लिए आनी है।


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