जान खतरे में डाल अवैध रास्ते से गांधी सेतु पर चढ़-उतर रहे यात्री
राजधानी को उत्तर बिहार से जोड़ने वाले महात्मा गांधी सेतु पर हर दिन हजारों लोग जान खतरे में डाल चढ़ते हैं।
पटना सिटी । राजधानी को उत्तर बिहार से जोड़ने वाले महात्मा गांधी सेतु पर हर दिन हजारों यात्री जान जोखिम में डालकर चढ़-उतर रहे हैं। बिस्कोमान गोलंबर तक पहुंच कर सेतु पर चढ़ने की लगभग दो किलोमीटर दूरी कम करने के लिए यात्रियों ने खतरनाक शार्टकट रास्ता अपनाया है। इस खतरे से लोगों को बचाने के लिए किसी भी स्तर से अब तक कोई प्रयास नहीं किया गया है।
आलमगंज थाना अंतर्गत डंका इमली के बैरियर स्थित जोखिम भरी खड़ी ढलान से लोग एक लाख 32 हजार केवी लाइन के विद्युत प्रवाह होते टावर को पकड़कर गांधी सेतु पर चढ़-उतर रहे हैं। टावर में लटक रहे केबल के सहारे भी लोग ढलान का रास्ता तय कर रहे हैं। यात्रियों में गर्भवती महिलाओं से लेकर बीमार, वृद्ध और बच्चे तक शामिल हैं। इस अवैध रास्ते से हर दिन सुबह से लेकर रात तक हजारों लोग जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं। अनुमंडल की पुलिस-प्रशासन से लेकर गांधी सेतु डिवीजन गुलजारबाग भी इसे खतरा मानते हुए अनजान बना है। हर दिन जानलेवा हादसा होने का डर बना रहता है।
खतरा उठा रहे यात्रियों ने बताया कि गांधी सेतु से बस पकड़ने के लिए ढलान का रास्ता शार्टकट है। इस रास्ते से उतर कर गायघाट तक पहुंचना आसान हो जाता है। बस पकड़ने के लिए बिस्कोमान गोलंबर, अगमकुआं जीरो माइल, धनुकी मोड़ और पटना-मसौढ़ी रोड स्थित बस स्टैंड जाने के झंझट से छुटकारा मिल जाता है। टेंपो का किराया भी बचता है। वैशाली की ओर से आने वाली बस भी अगमकुआं, जीरो माइल उतार देती हैं। गांधी सेतु के समानांतर बनने वाले पुल का पिलर निर्माणाधीन होने के कारण गांधी सेतु पर चढ़ने-उतरने के लिए बने बैरियर के समीप की सीढि़यां ध्वस्त हो चुकी हैं। इस गंभीर समस्या पर कोई भी अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। सभी एक-दूसरे विभाग की जिम्मेदारी बता पल्ला झाड़ रहे हैं।