Move to Jagran APP

पटना की शान गोलघर का अंग्रेजों ने दो साल में कराया था निर्माण, 10 साल में भी नहीं पूरी हुई सीढ़‍ियों की मरम्‍मत

पटना की शान गोलघर आजकल गर्दिश में है। गोलघर की सीढ़ि‍यों पर पहले ही ताला लग गया था और अब यहां लेजर शो भी बंद हो गया है। दूसरी तरफ गोलघर के टिकट का शुल्‍क दोगुना हो गया है। इसके बाद भी यह पटना के दूसरे पार्कों से सस्‍ता है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 12:27 PM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 12:27 PM (IST)
पटना की शान गोलघर का अंग्रेजों ने दो साल में कराया था निर्माण, 10 साल में भी नहीं पूरी हुई सीढ़‍ियों की मरम्‍मत
बिहार की राजधानी पटना में स्थित ऐतिहासिक गोलघर। जागरण

पटना, जागरण संवाददाता। Patna Golghar News: अंग्रेजों द्वारा अनाज भंडार (Grain Storage) के तौर पर बनाया गया गोलघर कभी पटना की पहचान हुआ करता था। पटना आने वाला हर शख्‍स सबसे पहले गोलघर को देखना चाहता था। इसकी सीढ़ि‍यों पर चढ़ना चाहता था और गोलघर की छत पर चढ़कर पटना का दीदार करना चाहता था। कहा जाता है कि गोलघर की छत से पूरा पटना ही दिखता था। वक्‍त गुजरा और तेजी से उगती आलीशान इमारतों के सामने पटना की शान ऐतिहासिक गोलघर का कद छोटा पड़ गया। अब गाेलघर की सीढ़ि‍यों पर ताला लग गया है। यह ताला कब खुलेगा या कभी नहीं खुलेगा, यह बताने को कोई तैयार नहीं है।

loksabha election banner

10 साल से हो रही सीढ़ि‍यों की मरम्‍मत

जो गोलघर एक समय मुस्कुराते हुए शान से पटना आने वाले सैलानियों का बाहें फैलाए स्वागत करता था, वह आज खुद मुंह लटकाए अपनी दुर्दशा पर रो रहा है। गोलघर की सीढ़‍ियां मरम्‍मत के बहाने पिछले 10 वर्षों से ताले में बंद हैं। आज भी कई लोग इसपर चढ़ने की ख्वाहिश लेकर दूर-दराज से आते हैं, लेकिन यहां लगा ताला देखकर लोग मन मसोस कर रह जाते हैं।

235 साल पहले बनाया गया था गोलघर

गांधी मैदान (Gandhi Maidan) के पश्चिम दिशा में बांकीपुर गर्ल्स हाईस्कूल (Bankipore Girls High School) के सामने स्थित गोलघर का निर्माण का काम 235 वर्ष पहले ब्रिटिश इंजीनियर कैप्टन जान गाॅस्टिन ने 20 जुलाई 1784 को शुरू कराया था, जो 20 जुलाई 1786 को पूरा हुआ। गोलघर में एक लाख चालीस हजार टन अनाज रखने की क्षमता है। हालांकि कहा यह भी कहा जाता है कि इस गोलघर में कभी अनाज रखा ही नहीं गया।

दरार आने के बाद शुरू हुई थी गोलघर की मरम्मत

वर्ष 2011 में गोलघर के दीवारों में दरारें दिखाई देने लगी थीं। इसके बाद राज्य सरकार ने इसके संरक्षण का निर्णय लिया था। सर्वे के बाद भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण (एएसआई) को काम सौंपा गया। उस समय मरम्‍मत का बजट 98 लाख रुपये रखा गया था। मरम्मत का काम धीमी गति से चला। दरारें भरी गईं और गोलघर के पुराने प्लास्टर की जगह पर सूर्खी-चूना लगाया गया। इतना करने में ही पांच-छह साल का वक्‍त गुजर गया। सीढ़ियों की मरम्मत का काम अब भी अधूरा है। आपको बता दें कि गोलघर में कुल 145 सीढ़ियां हैं।

दो गुना हो गयी है गोलघर के दीदार की कीमत

गोलघर के दीदार के लिए अब दर्शकों को 10 रुपये का टिकट लेना पड़ रहा है। पहले इसके दीदार के लिए सिर्फ पांच रुपया का ही टिकट लेना पड़ता था। हाल ही में इसके टिकट की कीमत को बढ़ा कर 10 रुपये कर दिया गया है।

लेजर शो देखने में लगता था लोगों का मन

गोलघर के अंदर और बाहरी परिसर में कुछ माह पहले तक लेजर शो दिखाया जाता था, लेकिन अब यह सुविधा भी बंद है। अधिकारियों की मानें तो लेजर शो दिखाने वाली एजेंसी का टेंडर खत्म हो गया है। विभाग से दोबारा टेंडर निकाला जाएगा। इसके बाद फिर से लेजर शो दिखाने की शुरुआत की जाएगी। फिलहाल यहां आने वाले दर्शक सिर्फ गोलघर का दीदार, गोलघर के कैंपस में बने गार्डेन की सैर और झूले का आनंद ले सकते हैं।  

मरम्मत के काम से विभाग असंतुष्ट

पुरातत्व निदेशालय के निदेशक अनिमेष पराशर ने बताया कि मरम्मत का काम धीमा तो है ही, काम से विभाग भी असंतुष्ट है। प्रधान सचिव ने इसे लेकर एक एएसआई के डीजी को पत्र लिखा है। जांच के लिए टीम बनाने और पुरानी गड़बड़ी को ठीक करते हुए बाकी काम जितनी जल्दी हो, पूरा करने को कहा गया है। उम्मीद है जल्द ही काम पूरा होगा।

जल्द खुल सकती है गोलघर की सीढ़‍ियां

गोलघर की सीढ़ियों को जल्द खोले जाने की उम्मीद जगी है। सीढ़ियों और अन्य अधुरे कार्य को पूरा करने के लिए कला, संस्कृति एवं युवा विभाग ने 12.87 लाख रुपये की राशि स्वीकृत कर दी है। एएसआइ से जल्द इस काम को पूरा करने का अनुरोध किया है, ताकि पर्यटक गोलघर की सीढ़ि‍यों पर फिर से चढ़ सकें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.