पटना लिटरेचर फेस्टिवलः फेक और सही खबरों की पहचान खुद करें पाठक
इन द मिडिल ऑफ मीडिया-माई एक्सपेरिमेंट विथ ट्रूथ विषय पर पटना लिटरेचर फेस्टिवल में अनिल धारकर और एमी फर्नांडिस ने विचार रखे।
पटना, जेएनएन। पटना लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन के एक सत्र में शुक्रवार को 'इन द मिडिल ऑफ मीडिया-माई एक्सपेरिमेंट विथ ट्रूथ' विषय पर अनिल धारकर और एमी फर्नांडिस ने विचार रखे। उनसे बात कर रहे थे अश्विनी कुमार। विषय पर प्रकाश डालते हुए अनिल धारकर ने कहा, अगले बीस वर्षों तक रीजनल प्रिंट मीडिया को किसी तरह का संकट नहीं है। जबकि नेशनल मीडिया के लिए ये खतरा बन सकता है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज साबित करने के लिए कोई एजेंसी नहीं है, ये आम लोगों को अपने दिमाग से तय करना होगा कि कौन सी खबरें फेक हैं और कौन सी सही।
महिलाओं के लिए मीडिया ने किए कई प्रयोग
एमी फर्नांडिस ने कहा कि महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए मीडिया में भी कई तरह के प्रयोग हुए हैं। जैसे फेमिना ब्यूटी कॉन्टेस्ट का मकसद सिर्फ महिलाओं की सुंदरता दिखाना नहीं, बल्कि उन्हें आगे बढ़ाना रहा है। विमर्श के दौरान मीडिया में एजेंडा सेट करने पर भी चर्चा हुई। इसमें ये बात सामने आई कि कतिपय मीडिया चैनल अपने-अपने हिसाब से एजेंडा चला रहे हैं। जबकि वक्ताओं ने ये विचार व्यक्त किया कि मीडिया को न्यूटल होना चाहिए।