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शराबबंदी कानून: पटना हाईकोर्ट की सख्ती, कहा-बहुत हो गया, अब कोर्ट नहीं करेगा बर्दाश्त

बिहार में शराबबंदी कानून के दो लाख लंबित मामलों को लेकर पटना हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा है कि बहुत समय दे दिया। मुकदमों का अनावश्यक बोझ कोर्ट बर्दाश्त नहीं करेगा।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 11:47 AM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 12:06 PM (IST)
शराबबंदी कानून: पटना हाईकोर्ट की सख्ती, कहा-बहुत हो गया, अब कोर्ट नहीं करेगा बर्दाश्त

पटना, जेएनएन। पटना हाईकोर्ट ने राज्य की अदालतों में शराबबंदी से जुड़े मामलों के लगातार बढ़ते बोझ पर चिंता जाहिर करते हुए सख्ती दिखाई है और कहा है कि बहुत समय दे दिया। मुकदमों का अनावश्यक बोझ कोर्ट अब बर्दाश्त नहीं करेगा। कोर्ट ने कहा है कि 24 घंटे में मुख्य सचिव से पूछकर सारी बातें बताएं।

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कोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा है कि सरकार इसे कम करने के लिए क्या उपाय कर रही है। इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी होगी। कोर्ट ने कहा-'चीफ सेक्रेट्री 24 घंटा में बताएं कि मुकदमों की इस बड़ी बोझ को कम करने के लिए सरकार क्या कर रही है; कौन सी प्रणाली अपनाई है?' 

सरकार बताए कैसे घटे शराबबंदी  के मामलों का बोझ : हाईकोर्ट 

शराबबंदी से जुड़ी जमानत की एक अर्जी पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट में शुरू की गई सुनवाई लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को भी हुई। इस क्रम में मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे एक हफ्ते के अंदर हलफनामा दायर करें, जिसमें सरकार द्वारा शराबबंदी के बढ़ते मुकदमों का बोझ घटाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की विस्तृत जानकारी हो।

मामले की अगली सुनवाई 4 दिसम्बर को होगी। महाधिवक्ता ललित किशोर ने शुक्रवार को शराबबंदी कानून से जुड़े मुकदमों को त्वरित गति से निपटाने के लिए राज्य सरकार के एक्शन प्लान के बारे में हाई कोर्ट को जानकारी दी। महाधिवक्ता ने इस मामले में त्वरित कदम उठाने का भरोसा भी दिलाया। 

मालूम हो कि हाईकोर्ट ने गुरुवार को अदालतों में शराबबंदी से जुड़े मामलों के लगातार बढ़ते बोझ पर चिंता जाहिर की थी। कोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा था कि सरकार इसे कम करने के लिए क्या उपाय कर रही है? 

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने गुरुवार को शराबबंदी से जुड़ी जमानत की एक अर्जी पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे याचिका में तब्दील कर दिया था। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार शराबबंदी कानून की वजह से बढ़ते हुए मुकदमे के प्रति असंवेदनशील है।

इस एक कानून के चलते लाखों जमानत याचिका दायर हैं। 90 प्रतिशत याचिकाकर्ताओं को जमानत तक मिल गयी है। यह साफ  दर्शाता है कि इस मामले में बड़ी तादाद में निर्दोष लोगों को फंसाया जाता है। खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार बताए कि पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी मामले में लाखों लोगों को जो जमानत दी है, उनमें से कितने आदेश के खिलाफ  सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी है।     

खंडपीठ ने यह भी कहा था 

-अगर राज्य सरकार लाखों लोगों को मिली जमानत के खिलाफ  बहुत कम मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील करती है तो हाईकोर्ट यही समझेगा कि  राज्य सरकार भी मानती है लाखों निर्दोष नागरिकों को शराबबंदी कानून में फंसाया जा रहा है।

गुरुवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि सरकार ने जो कोर्ट को जवाब दिया वह असंतोषजनक है। कोर्ट में दो लाख से अधिक मुकदमे लम्बित हैं और हमारी निचली अदालतों का न्यायिक कामकाज पर असर पड़ने लगा है। सरकार ऐसी कोई प्रणाली क्यों नहीं विकसित की, जिससे शराबबंदी से होने वाले मुकदमों का बोझ कम हो।

इसपर महाधिवक्ता ने कहा कि सरकार कानून को सख्ती से लागू कर रही है और कानून को तोड़ने वालों के खिलाफ मुकदमा तेजी से बढ़े। इसके लिए ठोस प्रयास कर रही है । पहले की तुलना में मुकदमों की बोझ में कमी आयी है।

इसपर कोर्ट ने कहा कि दो लाख मुकदमों का बोझ सरकार को कम कैसे लगता है? यह तो आपात (इमरजेंसी) स्थिति जैसी है। हमारी निचली अदालतों में अन्य मुकदमों के निस्तारण में बहुत बाधा हो रही है। शराबबंदी के बढ़ते मामलों का जाम लग गया है।

इसपर महाधिवक्ता ने कहा कि मुख्य सचिव से बात कर कोर्ट को अवगत कराते हैं। इस मामले को सोमवार के लिए मुल्तवी किया जाए। एक-दो दिन का समय मिलेगा, तो राज्य सरकार की तरफ से कोई एक्शन प्लान भी पेश हो जाएगा।

कोर्ट ने कहा कि अब बहुत समय दे दिया। मुकदमों का अनावश्यक बोझ कोर्ट बर्दाश्त नहीं करेगा। 24 घंटे में मुख्य सचिव से पूछकर सारी बातें बताएं।


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