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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला- सिविल कोर्ट में कर्मचारियों की बहाली को किया रद

पटना हाईकोर्ट ने सिविल कोर्ट में अवैध तरीके से हो रही चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की बहाली को रद कर दिया है। अब नये सिरे से बहाली प्रक्रिया शुरू की जायेगी।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Tue, 17 Apr 2018 02:59 PM (IST)Updated: Wed, 18 Apr 2018 09:33 PM (IST)
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला- सिविल कोर्ट में कर्मचारियों की बहाली को किया रद
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला- सिविल कोर्ट में कर्मचारियों की बहाली को किया रद
पटना [जेएनएन]। पटना हाईकोर्ट ने तमाम जिला अदालतों में हुई चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की नियुक्तियां रद कर दी हैं। नियुक्तियों में नई नियमावली का पालन नहीं किया गया था। मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन एवं न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने अवैध नियुक्तियों को लेकर कहा कि यह न्यायपालिका के लिए बड़ा धक्का है।
न्यायपालिका एवं अदालतें गलत कार्यों को रोकती है लेकिन नाक के नीचे संदेहास्पद रूप से चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई है। हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार जहां-जहां भी नियुक्ति प्रक्रिया चल रही थी अथवा मेरिट लिस्ट तैयार कर ली गई थी लेकिन योगदान नहीं लिया गया था, वे सारी नियुक्तियां रद हो गई है।
8 जिलों में चल रही थी नियुक्ति प्रक्रिया
नई नियमावली 23 मई 2017 को अस्तित्व में आई। इसके बाद से जहां कहीं भी केवल इंटरव्यू के आधार पर नियुक्ति हुई, उसे अवैध समझा जाएगा। इसमें पटना, दरभंगा, औरंगाबाद, जहानाबाद, समस्तीपुर, पश्चिमी चंपारण, जमुई  एवं सीमामढ़ी जिले आते हें।
दरभंगा जिला में अवैध नियुक्ति को लेकर शुरू हुई थी सुनवाई
अधिवक्ता दीनू कुमार ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि दरभंगा जिले में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के चयन के लिए एक एक दिन एक हजार से लेकर डेढ़ हजार अभ्यर्थियों का इंटरव्यू लिया जा रहा है। जो कतई संभव नहीं है। उन्होने रिश्वत लिए जाने का भी आरोप लगाया था।
जिस पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सारी नियुक्तियों पर रजिस्ट्रार जनरल से विस्तृत जानकारी ली। जहां कहीं भी गड़बडिय़ों की शिकायत मिली जांच करवाई। इसी सिलसिले में कोर्ट ने जमुई जिले में गड़बडिय़ों की शिकायत को लेकर हाईकोर्ट के विजिलेंस को जांच का आदेश दिया।

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