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पटना हाई कोर्ट ने मांगी पैथोलॉजिकल लैब में कानून अनुपालन की जानकारी

पटना हाई कोर्ट ने एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिकल इंस्टीट्यूट्स की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्‍त जानकारी राज्‍य सरकार से मांगी है। हालांकि राज्‍य सरकार की ओर से बताया गया है कि अवैध पैथोलॉजी लैब पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2021 03:39 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 03:39 PM (IST)
पटना हाई कोर्ट ने मांगी पैथोलॉजिकल लैब में कानून अनुपालन की जानकारी
पटना हाई कोर्ट की सांकेतिक तस्‍वीर ।

पटना, राज्य ब्यूरो । पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पैथोलोजिकल लैब से संबंधित सारे कानूनों के अनुपालन की स्थिति की जानकारी मांगी है। पूछा गया है कि राज्य में कौन-कौन से प्रावधान अभी लागू हैं और कौन-कौन से नहीं। कोर्ट ने राज्य सरकार से इसका विवरण एक चार्ट बना कर पेश करने को कहा है। अगली सुनवाई हफ्ते भर बाद होगी।

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मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिकल इंस्टीट्यूट्स की लोकहित याचिका की सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिए। सुनवाई के दौरान मामले में हस्तक्षेप करने वाले याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि बिहार क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट कानून-2013 के नियम तीन के तहत क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट के लिए एक राज्य आयोग के गठन का प्रावधान है, जो अभी तक नहीं हो पाया है।

अवैध लैब की जानकारी वेबसाइट पर होगी अपलोड

सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने मुख्य सचिव की ओर से दायर हलफनामे का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट कानून-2010, क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट रूल 2013 एवं 2018 में उक्त रूल के संशोधित कानून को लागू किया जा रहा है। सभी सिविल सर्जनों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने जिलों में प्रावधान के मुताबिक वैध-अवैध तरीके से चल रही लेबोरेट्री की सूची को जिला एवं राज्य स्तर पर सरकारी वेबसाइट पर अपलोड करें एवं अवैध पैथोलोजिकल लैब के खिलाफ उचित कार्रवाई करें।

अधिवक्ता राम कृष्णा ने अदालत को बताया कि केंद्र का क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट कानून के तहत एक राष्ट्रीय क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट आयोग के गठन का प्रावधान है, जो सभी राज्यों के स्टेट क्लीनिकल कमीशन के कार्यकलापों को देखेगी।


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