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बिहार: शराबबंदी कानून पर हाईकोर्ट का तीखा सवाल- दो लाख केस कैसे निपटाएंगे, दें जवाब

पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद दो लाख से अधिक मामलों के लंबित होने पर बिहार सरकार से जवाबतलब किया है और पूछा है कि ये कैसे निपटाए जाएंगे इसका जवाब दें।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 01:56 PM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 04:46 PM (IST)
बिहार: शराबबंदी कानून पर हाईकोर्ट का तीखा सवाल- दो लाख केस कैसे निपटाएंगे, दें जवाब
बिहार: शराबबंदी कानून पर हाईकोर्ट का तीखा सवाल- दो लाख केस कैसे निपटाएंगे, दें जवाब

पटना, जेएनएन। पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी कानून को लेकर न्यायपालिका की कठिनाइयों से राज्य सरकार को अवगत कराया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को 24 अक्टूबर तक जानकारी देने को कहा है कि निचली अदालतों में दो लाख से भी अधिक मुकदमों और शराबबंदी मामलों के बढ़ते बोझ से राज्य सरकार किस प्रकार से निपटेगी? 

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न्यायाधीश सुधीर सिंह एवं न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय की दो सदस्यीय खंडपीठ ने बुधवार को 2016 से लागू पूर्ण शराबंदी से उपजे सवालों से राज्य सरकार को आगाह किया है। अदालत ने बड़ी तादादों में दर्ज हो रहे मुक़दमे को अलार्मिंग स्थिति की संज्ञा दी है। खंडपीठ ने उत्पाद अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित कुछ मामलों की सुनवाई करते हुए गहरी चिंता जाहिर की। पहले इस मामले पर न्यायाधीश उपाध्याय की अदालत में सुनवाई चल रही थी। बाद में उसे मुख्य न्यायाधीश को रेफर कर दिया और मुख्य न्यायाधीश ने इसे लोकहित याचिका करार देते हुए इसे दो सदस्यीय खंडपीठ गठित कर दी।  

खंडपीठ ने गृह सचिव और पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को एक साथ नोटिस जारी करते हुए जानकारी देने को कहा है कि आखिर इन मुकदमों की सुनवाई वर्तमान समय की आधारभूत संरचना से कैसे संभव है? खंडपीठ ने कहा कि हर दिन ऐसे मुकदमों की संख्या बढती जा रही है। स्थति नियंत्रण से बाहर दिखने लगी है। इसलिए ऐसे विषम स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार को तैयार रहना होगा।

खंडपीठ ने कहा कि इतने मुकदमों की सुनवाई के लिए जजों एवं कर्मचारियों की संख्या बढानी होगी। ज्यादा से ज्यादा स्पेशल कोर्ट गठित करनी होगी। निचली अदालतों को पूर्ण रूप से कंप्यूटरीकृत करना होगा। पुलिस प्रशासन को पूरी मुस्तैदी दिखानी पड़ेगी। हलफनामा के माध्यम से कोर्ट को जानकारी दी गई कि निचली अदालतों में शराबबंदी के 2,07,766 (दो लाख सात हजार सात सौ छियासठ ) मामले लंबित हैं, जबकि हर एक जिले में इससे निपटाने के लिए सिर्फ एक स्पेशल कोर्ट है। 2016 में शराबबंदी कानून लागू होने के लगभग 3 साल के अंदर 1,67,000 लोगों की गिरफ्तारी और करीब 54 लाख लीटर से अधिक शराब की जब्ती से निचली अदालतों का काम कई गुना बढ़ गया है। 

एक तालिका प्रस्तुत कर बताया गया कि शराबबंदी से जुड़े सबसे ज्यादा 28,593 मामले केवल पटना में लंबित हैं। इसमें अभी तक सिर्फ 11 मामले का निपटारा किया गया है। दूसरे स्थान पर गया जिला है जहां 11,221 केस लंबित है। मोतिहारी में 9,979 , कटिहार में 8867 , सासाराम में 8,167, बेतिया में 7,881, छपरा में 7,344 , समस्तीपुर में 6,978, मुजफ्फरपुर में 6,834, नवादा में 6,774 , मधुबनी में 6,651 , गोपालगंज में 5,937 , अररिया में 5,792 , बांका में 5,453 , पूर्णिया में 5,359 , नालंदा कोर्ट में 5,287 , बक्सर में 4,860, जहानाबाद में 4,373, दरभंगा में 3,790 एवं भागलपुर में 3,022 शराबबंदी से जुड़े मामले लंबित हैं। इस पर अदालत ने गंभीर चिंता जताई है।   

शराबबंदी कानून के साइड इफेक्ट्स

  • देखते ही देखते 2,07,766 शराबबंदी के मुकदमे हो गए दर्ज
  • तीन वर्षों में 1 लाख 67 हजार से भी ज्यादा लोग गिरफ्तार 
  • 54 लाख लीटर शराब हुए जब्त
  • 22,467 वाहनों की हो चुकी है जब्ती 

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