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पटना हाई कोर्ट में फिजिकल सुनवाई शुरू करने की मांग, एडवोकेट एसोसिएशन ने चीफ जस्‍ट‍िस को दिए कई तर्क

डेढ़ साल से न्यायिक कार्य बाधित रहने से अदालत के कामकाज पर व्यापक असर पड़ा है। पत्र लिख कर उन्होंने कहा है कि ज्यादातर जजों वकीलों एवं हाई कोर्ट में काम करने वाले कर्मचारियों को वैक्सीन दी जा चुकी है जिससे कोरोना संक्रमण को लेकर कोई ख़तरा नहीं है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sun, 11 Jul 2021 07:31 AM (IST)Updated: Sun, 11 Jul 2021 07:31 AM (IST)
पटना हाई कोर्ट में फिजिकल सुनवाई शुरू करने की मांग, एडवोकेट एसोसिएशन ने चीफ जस्‍ट‍िस को दिए कई तर्क
पटना हाई कोर्ट में फिजिकल सुनवाई शुरू करने की मांग। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। Patna High Court News: पटना हाई कोर्ट के एडवोकेट एसोसिएशन (Advocate Association of Patna High Court) के अध्यक्ष योगेश चंद्र वर्मा ने मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of Patna High Court) को पत्र लिखकर फिजिकल सुनवाई की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा है कि लंबित मामलों के निष्पादन के लिए यह जरूरी है। डेढ़ साल से न्यायिक कार्य बाधित रहने से अदालत के कामकाज पर व्यापक असर पड़ा है। पत्र लिख कर उन्होंने कहा है कि ज्यादातर जजों, वकीलों एवं हाई कोर्ट में काम करने वाले कर्मचारियों को वैक्सीन दी जा चुकी है, जिससे कोरोना संक्रमण को लेकर कोई ख़तरा नहीं है।

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वकीलों के साथ ही उनके स्‍टाफ और फरियादियों की दिक्‍कत के बारे में बताया

वर्मा ने कहा है कि न्यायालय के समक्ष लंबित मामलों का अंबार होने से वकीलों के साथ-साथ उनके स्टाफ और फरियादियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका जरूरी सेवाओं में आती है। इसलिए कोर्ट को फिजिकल माध्यम से खोल देना चाहिए।

30 हजार वकील काम के बिना शहर छोड़ कर लौट गए गांव

उन्‍होंने कहा कि कामकाज बाधित रहने से आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे लगभग 30 हजार वकील इस दौरान अपने गांव चले गए। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई सही तरीके से नहीं हो पाती है, क्योंकि बहुत सारे वकील आधुनिक तकनीक से अवगत नहीं हैं।

कोरोना संक्रमण ने खराब की वकीलों की आर्थिक हालत

कोरोना संक्रमण के कारण कोर्ट में फिजिकल सुनवाई बंद रहने से छोटे वकीलों की कमर पूरी तरह टूट गई है। बड़े वकीलों का काम तो जैसे-तैसे निकल रहा है, लेकिन छोटे वकीलों को नई व्‍यवस्‍था में जगह ही नहीं मिल रही है। इसके कारण कोर्ट में वकीलों के साथ मुंशी का काम करने वाले तो लगभग पूरी तरह बेरोजगार ही हो गए हैं। ऐसी हालत में वकील लगातार राहत के लिए कोर्ट और सरकार से गुहार लगा रहे हैं।


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