बिहारः दुष्कर्म के आरोप में 10 साल की सजा पाए दोषी को कोर्ट ने किया बरी, जानें क्या था मामला
पटना हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोप में 10 साल की सजा पाए अभियुक्त को बरी कर दिया। न्यायाधीश बिरेंद्र कुमार की एकलपीठ ने रोहतास जिले के निवासी अर्जुन कुमार की अपील याचिका को स्वीकृति देते हुए उक्त फैसला सुनाया है।
राज्य ब्यूरो, पटना : पटना हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोप में 10 साल की सजा पाए अभियुक्त को बरी कर दिया। न्यायाधीश बिरेंद्र कुमार की एकलपीठ ने रोहतास जिले के निवासी अर्जुन कुमार की अपील याचिका को स्वीकृति देते हुए उक्त फैसला सुनाया है। प्राथमिकी दर्ज कराने वाली महिला ने आरोप लगाया था कि 29 नवंबर 2015 की सुबह 10 बजे उसकी 13 साल की बेटी ट्यूशन के लिए घर से निकली थी, तभी युवक ने उसे फोन कर सूचित किया कि वह उसकी नाबालिग बेटी को शादी करने के लिए पटना ले जा रहा है।
अनुसंधान में नाबालिग के छोटे भाई ने बताया था कि उसने अपनी बहन को ट्यूशन की बजाए रेलवे स्टेशन जाते देखा था। दिनांक तीन दिसंबर 2015 को पीड़िता वापस डुमराओं रेलवे स्टेशन पर पाई गई थी। शिकायतकर्ता के बयान पर आरोपी के खिलाफ आइपीसी (भारतीय दण्ड विधान) की धारा 363, 366A एवं 376 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस पर ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को 2017 में 10 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। आरोपित के अधिवक्ता ने एकलपीठ को बताया कि पीड़िता अपनी मर्जी से रेलवे स्टेशन गई थी। पीड़िता के साथ आरोपित ने तीन दिनों तक शारीरिक संबंध बनाने के बावजूद भी उसने कोई विरोध नहीं किया। इस पर कोर्ट ने पूरे मामले का अवलोकन करने के बाद यह पाया कि पीड़िता की सहमती से उक्त घटना को अंजाम दिया गया था, और उसके नाबालिग होने का कोई सुबूत अभियोजन पक्ष द्वारा नहीं लाया जा सका। इस पर कोर्ट ने आरोपित को सजामुक्त कर दिया।
मगध यूनिवर्सिटी द्वारा परीक्षा आयोजित कराए जाने पर याचिका दायर
राज्य ब्यूरो, पटना : पटना हाई कोर्ट में मगध यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने एलएलबी की परीक्षा जल्द आयोजित कराए जाने एवं परिणाम घोषित किए जाने की गुहार लगाते हुए याचिका दायर की है। मगध यूनिवर्सिटी के बिहार इंस्टीट्यूट आफ ला में पढ़ रहे एलएलबी छात्र आलोक अभिनव ने याचिका में बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा जल्द से जल्द अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा लेकर परिणाम घोषित कर दिए जाएं। अगर जल्द परीक्षा लेकर रिजल्ट जारी नहीं किए जाते हैं तो एक वर्ष का परिश्रम व्यर्थ हो जाएगा। आवेदक ने पांच वर्षीय बीए एलएलबी कोर्स में वर्ष 2016 में इंस्टीट्यूट में एडमिशन कराया था, और वह एलएलबी अंतिम वर्ष का छात्र है। याचिकाकर्ता ने इस विषय पर विश्वविद्यालय के समक्ष भी गुहार लगाई थी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।