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शराबबंदी कानून पर बुरी फंसी नीतीश सरकार, हाईकोर्ट ने पूछा- क्यों न लगे जुर्माना?

बिहार में शराबबंदी कानून के दुरुपयोग पर नीतीश सरकार बुरी फंस गई है। पटना हाईकोर्ट ने पूछा है कि क्यों न उसपर जुर्माना लगाया जाए।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 11 Jul 2018 09:33 AM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2018 05:22 PM (IST)
शराबबंदी कानून पर बुरी फंसी नीतीश सरकार, हाईकोर्ट ने पूछा- क्यों न लगे जुर्माना?
शराबबंदी कानून पर बुरी फंसी नीतीश सरकार, हाईकोर्ट ने पूछा- क्यों न लगे जुर्माना?

पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार में शराबबंदी कानून के बड़े पैमाने पर हो रहे दुरुपयोग को लेकर पटना हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। अदालत ने कहा कि कानून क्या है और जब्ती प्रक्रिया जिस प्रकार से की जा रही है, यह अपने आप में चिंताजनक है। अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पूछा कि मोटरसाइकिल सवार तीन व्यक्ति पुलिस को नशे की हालत में मिले थे तो उनकी मोटरसाइकिल को किस अधिकार के तहत जब्त कर लिया गया?

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कानून के दुरुपयोग से कोर्ट खफा

मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन एवं न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की दो सदस्यीय खंडपीठ ने राज्य सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि इस प्रकार के सारे मामलों को क्यों नहीं निरस्त कर दिया जाए? खंडपीठ ने मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर 30 जुलाई तक जवाब देने को कहा कि कानून का गलत तरीके से इस्तेमाल किये जाने के कारण जो भी लोग गाड़ी छुड़ाने आते हैं, उन्हें क्यों नहीं मुआवजा दिलवाया जाए?

पीडि़त पक्ष को मिले मुआवजा

खंडपीठ ने मुख्य सचिव के साथ-साथ जमुई के जिलाधिकारी से इस बाबत जवाब मांगा कि जब शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले में दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों को जब्त किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है, तो गाडिय़ां कैसे जब्त कर ली जाती हैं? अब यह जरूरी हो गया है कि इस तरह के केस को कोर्ट द्वारा निरस्त कर दिया जाए और पीडि़त पक्ष को मुआवजा भी दिलवाया जाए।

इस याचिका पर हुई सुनवाई

मलयपुर (जमुई) के एक मामले में आरोप लगाया गया था कि शराब पीकर तीन व्यक्ति मोटरसाइकिल से सफर कर रहे थे। स्थानीय पुलिस ने शराबियों को पकड़ कर उनकी मोटरसाइकिल जब्त कर ली। इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता राजेश कुमार पंडित पहले भी कोर्ट में आए थे।

कोर्ट ने जमुई के जिलाधिकारी को निजी मुचलके पर मोटरसाइकिल छोडऩे का निर्देश दिया था। जिलाधिकारी ने मोटरसाइकिल मालिक को 42 हजार रूपये की बैंक गारंटी पर मोटरसाइकिल छोडऩे की शर्त रखी, अर्थात जितनी कीमत मोटरसाइकिल की थी, उतनी ही बैंक गारंटी मोटरसाइकिल मालिक को देनी थी। इस पर हाईकोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर कर कहा कि हाईकोर्ट से पारित आदेश के बाद डीएम को शर्त लगाने का किसने अधिकार दे दिया? 

खंडपीठ ने कहा कि सैकड़ों ऐसे केस पर सुनवाई करनी पड़ती है कि वाहनों को गैरकानूनी तरीके से पकड़ लिया गया है। जबकि, शराबबंदी कानून की धारा 56 में स्पष्ट लिखा हुआ है कि शराब पीनेे वालों के खिलाफ कार्रवार्ई हो सकती है, न कि उनके वाहनों पर।

अदालत ने कहा कि प्रदेश में धड़ल्ले से शराबबंदी कानून का दुरुपयोग हो रहा है। यही कारण है कि केवल हाईकोर्ट में प्रतिदिन 100 से ज्यादा केस केवल उत्पाद अधिनियम के दुरुपयोग से जुड़े आते हैं। हाईकोर्ट का ज्यादा समय इन्हीं मामलों की सुनवाई में लग जाता है। अदालत ने आदेश की अवहेलना के मामले को गंभीर मानते हुए जमुई के डीएम को अपना पक्ष स्वयं रखने का निर्देश दिया है।


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