बंद होगा अंग्रेजों के जमाने का पटना घाट-दीघा घाट रेलखंड
पटना । हाईकोर्ट का आदेश रेलवे के लिए राहत लेकर आया है। दीघा घाट-पटना घाट रूट पर
पटना । हाईकोर्ट का आदेश रेलवे के लिए राहत लेकर आया है। दीघा घाट-पटना घाट रूट पर सवारी गाड़ी का परिचालन बंद होने से रेलवे को लगभग 20 हजार रुपये रोजाना का घाटा बंद हो जाएगा।
अंग्रेजों ने बनवाया था ट्रैक :
पटना घाट से दीघा घाट के बीच माल परिवहन के लिए ब्रिटिश हुकूमत ने 1862 में इस रेलखंड का निर्माण कराया था। बाद में भारत सरकार ने इस रेलखंड का उपयोग एफसीआइ गोदाम की कनेक्टिविटी के रूप में करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे इस रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन बंद हो गया। आर. ब्लॉक से दीघा घाट का ट्रैक करीब 75.25 एकड़ जमीन पर बना है। इस पर अतिक्रमणकारी काबिज हो गए।
लालू प्रसाद ने दोबारा शुरू कराया परिचालन :
2004 में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने पटना घाट-दीघा घाट सवारी गाड़ी का परिचालन शुरू कराया। यह आज तक जारी है। हालांकि शुरुआत से ही यह रेलखंड रेलवे के लिए घाटे का सौदा साबित हुआ। इस पर चलने वाली ट्रेनों से प्रतिदिन रेलवे को 250 से 300 रुपये तक की आय होती है। जबकि रोजाना खर्च 20 हजार रुपये से अधिक का है।
कमीशन में चला जाता राजस्व :
आर. ब्लॉक-दीघा रेलखंड पर आर. ब्लॉक, सचिवालय, बेली रोड, पुनाईचक शिवपुरी, राजीव नगर एवं दीघाघाट स्टेशन बनाए गए। सभी स्टेशनों पर बुकिंग काउंटर खोले गए। इस काम के लिए ठेकेदार नियुक्त किए गए। सवारी बैठती नहीं, ठेकेदार अपनी जेब से महीने में 700 टिकट का पैसा जमा करने लगे। इससे जितना राजस्व मिलता है, वह कमीशन में चला जाता है। इस रेललाइन को घाटे में चलता देख राज्य सरकार ने रेलवे से इस जमीन की मांग की। प्रस्ताव था कि इस पर छह लेन की सड़क बनाई जाए। राज्य सरकार ने रेलवे को इस 75 एकड़ जमीन के बदले कहीं और जमीन देने की पेशकश की। परंतु रेलवे 75 एकड़ जमीन की बाजार दर के हिसाब से 900 करोड़ रुपये नकद अथवा इतने की ही जमीन देने की मांग की। मामला रेलवे बोर्ड में लंबित पड़ा है। रेल अधिकारियों को आशंका है कि ट्रेन परिचालन बंद होते ही पूरे ट्रैक पर अतिक्रमणकारी काबिज हो जाएंगे। अभी भी ट्रैक के किनारे अतिक्रमण है।