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इतिहास बन जाएगी लालू द्वारा शुरू की गई ये रेल सेवा, जानिए वर्षों तक क्‍यों चली घाटे में

लालू प्रसाद यादव द्वारा शुरू किया गया पटना-दीघा रेल सेवा कुछ दिनों बाद इतिहास बन जायेगा। इस रेलखंड की जमीन को अतिक्रमण से बचाने के लिए कई साल घाटे में रेल परिचालन किया गया।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Fri, 15 Jun 2018 02:30 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jun 2018 10:36 PM (IST)
इतिहास बन जाएगी लालू द्वारा शुरू की गई ये रेल सेवा, जानिए वर्षों तक क्‍यों चली घाटे में

पटना [जेएनएन]। पटना घाट से दीघा घाट का रेलखंड पटना का सबसे पुराना रेलखंड है। पटना में रेल लाइन बिछाने के लिए इसका निर्माण किया गया था। बाद में इसपर रेलसेवा बंद हो गई। लालू प्रसाद के रेलमंत्री बनने के बाद इस ट्रैक पर पुन: रेल का परिचालन शुरू हुआ। इस रूट पर सात हॉल्ट दीघा, राजीव नगर, शिवपुरी, पुनाईचक, बेलीरोड, पुराना सचिवालय और आर ब्लॉक हैं।

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गुजरती है ट्रेन तो लगता है जाम

इस रेलखंड पर सुबह और शाम मिलाकर दो जोड़ी डेमू ट्रेनों का परिचालन दानापुर मंडल की ओर से किया जा रहा है। इन ट्रेनों में मुश्किल से चार-पांच यात्री सवार होकर यात्रा करते हैं। सुबह-शाम जब यह ट्रेन बेली रोड को पार करती है तो क्रॉसिंग बंद होने से दोनों ओर गाडिय़ों की लंबी कतारें लग जाती हैं। पटना घाट से गाड़ी 8 बजकर 20 मिनट में खुलती है। सभी स्टेशनों और हॉल्टों पर रूकते हुए दीघा हॉल्ट पर 9 बजकर 45 मिनट पर पहुंचती है। कुछ ही समय के बाद ट्रेन वापस प्रस्थान कर जाती है।

अरबों की जमीन बचाने के लिए घाटे में चलाई जा रही थी ट्रेन

पटना-दीघा रेलखंड की अरबों की जमीन को अतिक्रमण से बचाने के लिए रेल प्रशासन हर माह लाखों का घाटा सहकर ट्रेन चला रहा है। इस रेलखंड में चलने वाली ट्रेन लगभग खाली ही रहती है। यात्री नहीं मिलते हैं। हाल्टों पर टिकट घर वर्षो से बंद है। फिर भी रेलगाड़ी चलती है। हालांकि रेलगाड़ी के परिचालन के बाद भी पटरी के दोनों तरफ खटाल हैं। अतिक्रमणकारी हमेशा इस रेलखंड की जमीन को कब्जा करने की जुगत में लगे रहते हैं। 

रेल मंत्रालय द्वारा पटना-दीघा रेलखंड की जमीन को राज्य सरकार को पथ निर्माण के लिए देने के फैसले के बाद दानापुर रेलमंडल के डीआरएम रंजन प्रकाश ने बताया कि रेलगाड़ी नहीं चलाई जाती तो जमीन पर अतिक्रमण हो जाता। अतिक्रमण से जमीन को बचाए रखने के लिए घाटे बाद भी रेलगाड़ी चलाई जा रही थी।डीएमआरएम ने बताया कि यातायात को सुगम बनाये रखने में दीघा-पटना रेलखंड की जमीन मील की पत्थर साबित होगी।

दूसरी तरफ पूर्व मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि पटना-दीघा रेलखंड की जमीन 71.253 एकड़ है। रेल मंत्रालय इस रेलखंड की जमीन को सड़क निर्माण के लिए राज्य सरकार को देने का सैद्धांतिक सहमति दे दी है। पटना की यातायात व्यवस्था सुगम हो जाएगी। 221.7191438 करोड़ रुपये राज्य सरकार रेलवे को भुगतान करेगी। पटना उच्च न्यायालय की कमेटी ने जमीन के बदले राशि तय की है।

बोरिंग रोड को जाम से मिलेगी राहत, घट जाएगी दीघा की दूरी

दीघा-पटना रेलखंड की जगह फोरलेन बन जाने से बोरिंग रोड और अशोक राजपथ पर वाहनों का दबाव घट जाएगा। अभी सड़क जाम के कारण दीघा से पटना जंक्शन जाने में घंटों लग जाते हैं। सड़क निर्माण के बाद दीघा से पटना जंक्शन की दूरी भी घटकर महज सात किलोमीटर हो जाएगी। शहर के कई महत्वपूर्ण सड़क भी इससे जुड़ जाएंगे।

नई सड़क के बाद उत्तर बिहार से आने वाले वाहनों के बोझ को भी आसानी से झेला जा सकेगा। दीघा गंगा ब्रिज से अभी छोटे वाहनों का परिचालन हो रहा है। सोनपुर की तरफ चौड़ी सड़क के निर्माण नहीं होने के कारण वाहनों का दबाव नहीं है। उत्तर बिहार से आने वाले वाहनों के लिए एम्स तक जाने के लिए एलिवेटेड रोड का निर्माण भी हो रहा है। इसके साथ बगल में चौड़ी सड़क का निर्माण हुआ है।

जुड़ जाएंगी कई कॉलोनियां

दीघा रेल लाइन के स्थान पर सड़क निर्माण के बाद राजधानी के कई मोहल्ले मुख्य सड़क पर आ जाएंगे। पंचवटी कॉलोनी, माइका कॉलोनी, फेयर फिल्ड कॉलोनी, राजीव नगर, इंद्रपुरी, महेश नगर, शिवपुरी, पटेलनगर पूर्णरूप से मुख्य सड़क के किनारे आ जाएंगे। इन मोहल्ले का कायाकल्प हो जाएगा। इसके अलावा दीघा, पाटलिपुत्र, पुनाइचक, एसकेपुरी, आर.ब्लॉक का अधिकांश क्षेत्र का एक छोर मुख्य सड़क से जुड़ जाएगा।


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