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Patna CoronaVirus Alert: आखिर नहीं मिला बेड, भगवान भरोसे 'देवी', अब ऊपर वाला जो करेगा, वही मंजूर

Patna CoronaVirus Alert पटना में कोरोना संक्रमितों का हाल बुरा है। राजधानी में अब एक दिन में कोरोना पॉजिटिव मिलने की संख्या दो हजार से अधिक हो गई। पटना के अस्पतालों में बेड न के बराबर बचे हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 01:10 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 01:10 PM (IST)
Patna CoronaVirus Alert: आखिर नहीं मिला बेड, भगवान भरोसे 'देवी', अब ऊपर वाला जो करेगा, वही मंजूर
महाराष्ट्र से लौटी एक महिला का पटना जंक्शन पर कोरोना जांच के लिए सैंपल लेते चिकित्सक। प्रतीकात्मक तस्वीर।

आशीष शुक्ल, पटना। अब भगवान जो भी करेंगे, वही मंजूर होगा। मेरी पत्नी देवी का जो करेंगे, वही करेंगे। साहब! अब छोड़ दीजिए...। जिंदगी की जिद्दोजहद में एक आम आदमी किस तरह टूट रहा, इसका एक उदाहरण भर हैं अजय कुमार। हालत बहुत ही खराब है। लोग इलाज के लिए भटक रहे हैं। कहीं ऑक्सीजन नहीं तो कहीं बेड की दिक्कत। शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र के एजी कॉलोनी स्थित किराना दुकानदार अजय कुमार की पत्नी देवी कोरोना से संक्रमित हैं। ऑक्सीजन लेवल 90 से घटकर 85 पर पहुंच चुका है। 

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नियंत्रण कक्ष में फोनकर लगाते रहे गुहार

अजय ने बताया कि एक बेड और ऑक्सीजन के लिए शनिवार से रविवार की देर शाम तक जिला नियंत्रण कक्ष में फोन कर मदद की गुहार लगाते रहे। वहां से एंबुलेंस भेज कर पीएमसीएच पहुंचाया गया, लेकिन भर्ती नहीं लिया गया। इसके बाद कई बार फोन करने के बाद भी जवाब नहीं मिला। रविवार को फोन करने पर मदद के नाम पर नर्सिंग होम का नंबर दिया गया। वहां फोन करने पर एक दिन का चार्ज सुनते ही आंखों के सामने अंधेरा छा गया। ऑक्सीजन के लिए अलग से चार्ज। अंत में हार कर बोल, साहब अब मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए। जो भी होगा भगवान भरोसे। 

50 बार फोन करने पर भी कोई जवाब नहीं

अजय ने बताया कि शनिवार को एंबुलेंस पहुंचने में पांच घंटे लग गए। नियंत्रण कक्ष ने ही भेजा था, पर पीएमसीएच पहुंचने के बाद 50 से अधिक बार फोन करने पर भी कोई जवाब नहीं मिला। अखबार और अन्य जगहों से ऑक्सीजन सप्लाई करने वालों का नंबर मिला। एक जगह बोला गया कि रविवार को दोपहर बाद उपलब्ध हो जाएगा, लेकिन, कुछ नहीं हुआ। शाम को फिर नियंत्रण कक्ष से मदद मांगी। वहां से जिस नर्सिंग होम का पता मिला, उसने एक दिन का बेड चार्ज 13 हजार रुपये बताया। वह भी ऑक्सीजन के बिना। ऑक्सीजन के लिए दूसरे वार्ड में भर्ती करने पर उससे भी अधिक चार्ज बताया गया, दवा का पैसा अलग से। अब किराना दुकान चलाने वाला इतना पैसा कहां से लाए। थक-हार कर पत्नी के पास ही बैठे हैं। इस उम्मीद में कि कहीं से मदद के लिए फोन आ जाए या नियंत्रण कक्ष से ही बेड उपलब्ध होने की सूचना मिल जाए।


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