नहीं मांगना पड़ेगा चंदा, गरीबों को 300 रुपये में मयस्सर होने लगी 'मुक्ति की आग'
जागरण की पहल का असर हुआ है। पटना के बांसघाट के विद्युत शवदाह गृह में शव जलने शुरू हो गए हैं। अब गरीबों को अंतिम संस्कार के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।
डॉ. कौशलेन्द्र कुमार, पटना। आखिर गरीबों को राहत मिल गई। अब कम से कम शव जलाने के लिए तो उन्हें चंदा नहीं मांगना पड़ेगा। दैनिक जागरण में विद्युत शवदाह गृह की दुर्दशा को लेकर अभियान का आखिरकार असर हुआ, तीन महीने से बंद बांसघाट का विद्युत शवदाह गृह सोमवार को चालू हो गया। शाम तक इसमें पांच शवों को जलाया गया। महज 300 रुपये में फिर से शव का अंतिम संस्कार होने लगा है।
सोमवार को सबसे पहले रुपसपुर स्थित सुंदर वाटिका अपार्टमेंट के बी- 603 में रहने वाले 67 वर्षीय अंजन कुमार दास का शव जलाया गया। कैंसर बुजुर्ग की आज ही मौत हो गई थी। इसके बाद नौबतपुर थाने के दरियापुर निवासी सुशीला देवी, इसी थाने के छोटी टेंगरैला की रहने वाली कांति देवी, सिपारा डीह निवासी बिंदेश्वरी दास और नवादा की रहने वाली बबीता का शव जलाया गया।
एक मशीन अभी है बंद
बांसघाट विद्युत शवदाह गृह की एक मशीन तो ठीक हो गई मगर तीन सालों से खराब पड़ी दूसरी मशीन अभी बंद ही पड़ी है। शवदाह गृह का संचालन करने वाली एजेंसी का कहना है कि इसे ठीक करने की प्रक्रिया जारी है। निगम की ओर से बकाया मिलते ही मशीन को दुरुस्त कर चालू कर दिया जाएगा।
22 जनवरी को सुर्खियों में आया था मामला
दैनिक जागरण ने बांसघाट विद्युत शवदाह गृह के बंद होने की खबर 22 जनवरी को प्रमुखता से प्रकाशित की थी। ‘अधजली रह गई अंबिका की चिता, राजेंद्र को आग मयस्सर नहीं’ शीर्षक से खबर छपने के बाद प्रशासन हरकत में आया। डीएम ने निगम के अफसरों को फटकार लगाई और अविलंब मशीन चालू करने का निर्देश दिया। इसके बाद अधिकारियों की नींद खुली और इसे ठीक कराने को लेकर काम शुरू किया गया।