पूस की रात में ठंड से ठिठुरते रहे बिहार के इस अस्पताल के मरीज, कारण जानकर रह जाएंगे हैरान
शेखपुरा सदर अस्पताल में भर्ती मरीज और उनकी सुश्रुषा में लगे स्वजन गुरुवार को रात भर ठंड से ठिठुरते रहे। खुली खिड़कियों से आते ठंड के थपेड़े उनके शरीर को वेधते रहे। इसका कारण जान सभी हैरान रह गए।
शेखपुरा, जागरण संवाददाता। पूस की रात का ठंंड महान साहित्यकार प्रेमचंद की एक रचना में जीवंत हो उठता है। लेकिन कहानी की यह स्थिति शेखपुरा सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए चरितार्थ हो गई। मरीजों को ठंड की रात ऐसे ही गुजारनी पड़ी जैसे प्रेमचंद की कहानी के नायक को गुजारनी पड़ी थी। दरअसल शेखपुरा सदर अस्पताल (Sheikhpura Sadar Hospital) में खिड़की खोल लेने से गुरुवार रात ठंडी हवाओं से मरीज व उनके स्वजन ठिठुरते रहे। आपूर्तिकर्ता ने खिड़की खोल ली थी। इन ठिठुरते मरीजों के लिए अस्पताल प्रशासन ने भी ठंढ से बचाने के लिए कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं की। मरीजों के स्वजन वार्ड की खुली खिड़कियों पर चादर-तौलिया टांगकर ठंड से बचने का प्रयास करते रहे। बाद में स्वयं आपूर्तिकर्ता दिलीप मिस्त्री ने शुक्रवार की दोपहर इमरजेंसी वार्ड की खोली हुई खिड़कियों को लगा दिया।
पिछले साल ही लगाई थी खिड़कियां
दिलीप मिस्त्री ने बताया पिछले साल कोरोना लॉकडाउन के दौरान ही सदर अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में अल्यूमिनियम की तीन खिड़कियां लगाई थीं। इसके अलावा अस्पताल प्रशासन ने आयुष्मान काउंटर का काम कराया था। लेकिन इतने दिनों बाद भी उसका भुगतान नहीं किया गया था। भुगतान के लिए अस्पताल का चक्कर लगा-लगाकर थक गए। करीब डेढ़ लाख रुपये का बकाया था। मजबूरी में हमने इन खिड़कियों को खोल लिया।
एफआइआर की चेतावनी पर वापस लगाई
इधर अस्पताल प्रबंधक धीरज कुमार ने बताया आपूर्तिकर्ता दिलीप मिस्त्री को पहले कुछ भुगतान किया गया था। बाद में सिविल सर्जन बदल जाने की वजह से अस्पताल के कर्मियों के वेतन के साथ खिड़की लगाने वाले का भुगतान भी लंबित हो गया। अब सब ठीक हो रहा है। इसी बीच बिना किसी सूचना के खिड़की खोल ली गई। जब आपूर्तिकर्ता को प्राथमिकी दर्ज करने की चेतावनी दी गई तो उसने शुक्रवार को खिड़की लगा दी। खिड़कियां वापस लगा दिए जाने से मरीजों को राहत मिलेगी।