बिहार में दारोगा बहाली का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने दिया रिजल्ट निकालने का आदेश
बिहार में 1717 दारोगा की बहाली के रिजल्ट पर लगी रोक पटना हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने हटा दी है। यह रोक हाईकोर्ट की एकल बेंच ने ही लगाई थी।
पटना [जेएनएन]। पटना हाईकोर्ट ने दारोगा बहाली का परिणाम घोषित करने का आदेश दिया है। विदित हो कि इसके पहले हाईकोर्ट की एकल बेंच ने गत सितंबर में रिजल्ट के प्रकाशन पर रोक लगा दी थी। उस आदेश को मंगलवार को डिविजन बेंच ने पलट दिया। इसके साथ ही राज्य में दारोगा के 1717 पदों पर भर्ती का रास्ता साफ हो गया है।
वर्ष 2017 में पुलिस सब इंस्पेक्टर की नियुक्ति के लिए बिहार पुलिस अधीनस्थ सेवा आयोग की ओर से विज्ञापन निकाला गया था। पटना हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कुछ शर्तें लगाकर नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी, लेकिन मंगलवार को दो सदस्यीय खंडपीठ ने सारी शर्तें हटाकर परिणाम निकालने की अनुमति दे दी। इस तरह से मुख्य न्यायाधीश एपी शाही एवं न्यायाधीश अंजना मिश्रा की खंडपीठ ने बिहार पुलिस अधीनस्थ सेवा आयोग की अपील को स्वीकार कर लिया। खंडपीठ ने आयोग से यह भी कहा कि लोक सभा चुनाव के कारण आचार संहिता लागू हो जाने के बाद भी नियुक्ति प्रक्रिया जारी रहेगी। हस्तक्षेप की ओर से वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा ने बहस में हिस्सा लिया।
4,28,200 अभ्यर्थी परीक्षा में हुए थे शामिल
दरअसल वर्ष 2017 में 16 सितंबर को विज्ञापन निकलने के बाद से ही परीक्षा को लेकर विवाद हो गया था। महिला एवं पुरुष कोटि के 195 अभ्यर्थियों ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर कर तरह-तरह की अनियमितता का आरोप लगाया। एकल पीठ ने आयोग को प्रश्न पत्र एवं अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिका को वेबसाइट पर लोड करते हुए आरक्षण सहित अनेक त्रुटियों का निराकरण करने का आदेश दिया था। कमीशन के वकील कुणाल तिवारी का कहना था कि एकल पीठ के आदेश का पालन करने में नियुक्ति प्रक्रिया अटक जाएगी, जबकि राज्य सरकार को सब इंस्पेक्टर की सख्त जरूरत है। उनका कहना था कहा कि परीक्षा में किसी प्रकार की अनियमितता नहीं की गई है।
तिथि एवं घटनाक्रम
16.9.2017 : 1717 दारोगा के पदों के विज्ञापन
11 मार्च 2018 से लेकर 13 मार्च 2018 के बीच 4,28,200 उम्मीदवार हुए शामिल
22.7.2018 : कुल 29,359 मुख्य परीक्षा में हुए शामिल
5.8.2018 : 10,161 को फिजिकल परीक्षा के लिए पाया उपयुक्त पाया गया।
15.9.2018 : पटना हाईकोर्ट की एकल पीठ ने आयोग को दिया दिशानिर्देश।
5 फरवरी 2019 : हाईकोर्ट का आया फैसला