बिहार में लोकसभा की 40 सीटें, महागठबंधन की पार्टियों की 56 पर दावेदारी
महागठबंधन के घटक दलों के दावों को देखें तो बिहार की 40 लोकसभा सीटें उनके लिए कम पड़ रहीं हैं। मांझी व वाम दलों ने अपने दावे कर दिए हैं। आगे-आगे देखिए होता है क्या।
पटना [अरविंद शर्मा]। बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं, किंतु महागठबंधन के घटक दलों के लिए यह कम पड़ रही हैं। छोटे दलों ने भी बड़ी-बड़ी मांगें शुरू कर दी हैं। कोई भी किसी से कम नहीं रहना चाहता है। शुरुआत वामदलों और जीतनराम मांझी की पार्टी की ओर से कर दी गई है। ऐसे में महागठबंधन के 'बड़े भाई' राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लिए मुश्किल यह है कि किसे कितनी सीटें दे और अपने लिए क्या रखे।
किसकी कितनी दावेदारी
हम की 20 सीटों की मांग, वामदलों का 18 पर दावा
हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) ने राजद से कम से कम 20 सीटों की मांग की है। वामदलों ने भी 18 सीटों पर दावा किया है। कांग्रेस की लालसा पिछली बार से अधिक सीटों पर चुनाव लडऩे की है। 2014 में राजद ने उसे 12 सीटें दी थी। तब कांग्रेस बिहार में सिर्फ चार विधायकों वाली पार्टी थी। अब उसके 27 विधायक हैं। सात गुना ज्यादा। इतना ही नहीं, सपा-बसपा के साथ शरद यादव और तारिक अनवर भी लाइन में हैं।
राजद की मुश्किल, किसे दें कितनी सीटें
राजद के सामने सबसे बड़ी मुश्किल है कि वह किसे कितनी सीटें दे और अपने पास कितनी सीटें रखे। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भी राजद-कांग्रेस गठबंधन को छह सीटों पर जीत मिली थी। राजद के हिस्से में चार और कांग्रेस के हिस्से में दो सीटें आई थीं। तारिक अनवर ने भी एक सीट एनसीपी के लिए जीती थी। तब तारिक के नाम पर कांग्रेस-राजद ने एनसीपी को कटिहार लोकसभा क्षेत्र में समर्थन दिया था। दोनों दल इस बार भी पिछला त्याग दोहरा सकते हैं।
शरद भी महागठबंधन में शामिल होने की जुगत में
जदयू छोड़कर अपनी अलग पार्टी (लोकतांत्रिक जनता दल) बनाकर शरद यादव भी महागठबंधन में शामिल होने की जुगत में हैं। हालांकि, राजद प्रमुख लालू प्रसाद की ओर से उन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं मिल रही है, लेकिन कांग्रेस की ओर से सम्मान देने का संकेत दे दिया गया है। शरद यादव को अपने लिए मधेपुरा की सीट चाहिए। उन्हें अपने दो सहयोगियों पूर्व स्पीकर उदय नारायण चौधरी और पूर्व मंत्री अर्जुन राय के लिए भी सीट चाहिए।
सपा-बसपा को भी दी जा सकतीं सीटें
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेन्द्र प्रसाद यादव को लालू ने झंझारपुर सीट के लिए सहमति दे दी है। बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती अगर सही लाइन पर रहती हैं तो एक सीट उन्हें भी ऑफर किया जा सकता है।
राजद के लिए सबको खुश रखना मुश्किल
इस तरह महागठबंधन के सभी घटक दलों की अपेक्षाओं को पूरा करना राजद के लिए संभव नहीं होगा। राजद अगर खुद के पास एक भी सीट न रखे तो भी कांग्रेस समेत सभी सहयोगी दलों की दावेदारी को पूरा करने के लिए उसे कम से कम 56 सीटें चाहिए। कुल उपलब्ध सीटों से भी 16 अधिक। जाहिर है, महागठबंधन के घटक दलों में सीटों का बंटवारा इतना आसान नहीं होगा। राजद को सहयोगियों की मांग पूरी करने के लिए 56 सीटों की जरुरत होगी। एेसे में राजद के लिए खुद के सीटों के लिए भी सोचना होगा।