Move to Jagran APP

जयंती विशेष: पंडित नेहरू को बिहार में पहली बार मिला था खुला मंच, वसीयत में लिखा था...

पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती बुधवार को मनायी गई। नेहरू को जीवन का पहला बड़ा सार्वजनिक मंच बिहार में तब मिला था, जब वे पटना के बांकीपुर में कांग्रेस की सभा में शामिल हुए थे।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 09:18 AM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 04:33 PM (IST)
जयंती विशेष: पंडित नेहरू को बिहार में पहली बार मिला था खुला मंच, वसीयत में लिखा था...
जयंती विशेष: पंडित नेहरू को बिहार में पहली बार मिला था खुला मंच, वसीयत में लिखा था...

पटना [जेएनएन]। देश भर में पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आज 129वीं जयंती मनायी जा रही है। 14 नवंबर 1889 को जन्मे पंडित नेहरू की जयंती को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि नेहरू को बच्चों से बहुत प्यार था और वो नेहरू को चाचा कहकर बुलाते थे। नेहरू ने देश की राजनीति को दिशा दी, लेकिन उनके राजनीतिक जीवन को दिशा बिहार में मिली। बिहार के बांकीपुर में हुए कांग्रेस के महाधिवेशन में नेहरू को पहला बड़ा सार्वजनिक मंच मिला था।
पंडित नेहरू ने विदेश में रहकर लॉ (बैरिस्टर) की पढ़ाई की। 15 वर्ष की छोटी-सी उम्र में इंग्लैंड पढ़ने गए पंडित जवाहर लाल नेहरू उस समय सबसे कम उम्र में, महज 20 वर्ष की उम्र में बैरिस्टर की उपाधि लेकर 1912 में भारत लौट आए। लेकिन भारत लौटते ही उन्होंने वकालत को तवज्जो न देकर देश की आजादी की मुहिम में भाग लेना बेहतर समझा। यहां अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाही देखकर नेहरू ने सोंचा कि कचहरी में एक व्यक्ति के मुकदमे की पैरवी करने के बदले संपूर्ण भारत की पैरवी करना कहीं बेहतर है।
बिहार के पटना में पहली बार कांग्रेस की सभा में लिया था भाग
नेहरू को स्वतंत्रता संग्राम में उतरने के लिए एक मंच की आवश्यकता थी। उन दिनों कांग्रेस एक खुले मंच में राजनीति कर रही थी। इसके चलते वे कांग्रेस के सदस्य बन गए और 1912 में प्रतिनिधि के रूप में पटना के बांकीपुर में कांग्रेस के अधिवेशन में पहली बार शामिल हुए। यहां से राजनीतिक सफर शुरू करते हुए पंडित नेहरू कांगेस के अध्यक्ष और फिर देश के प्रधानमंत्री बने।
लगातार चार बार देश के पीएम रहे नेहरू 
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लगतार चार बार 1947, 1951, 1957 और 1962 तक देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला। पंडित नेहरू अपने जीवन काल में आजादी की लड़ाई के दौरान वह नौ बार जेल गए। उन्होंने जेल में 5 हजार 477 दिन गुजारे थे। पीएम के रूप में उन्होंने 'नियति से मिलन' पहला भाषण दिया था। 

loksabha election banner

लोकतांत्रिक देश के पहले प्रधानमंत्री
चुनाव के समय देश की कई पार्टियों में जोरदार टक्कर हुई, जिसमें कांग्रेस,  हिन्दू महासभा और सिक्ख व अकाली प्रमुख थीं। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जोरदार जीत हासिल की। देश भर में हुए चुनाव में 60 फीसद मतदान हुआ। कांग्रेस को 364 सीटें प्राप्त हुईं।
कांग्रेस की पूर्ण बहुमत सरकार में गणतांत्रिक और लोकतांत्रिक देश को पहला प्रधानमंत्री मिला और यह प्रधानमंत्री कोई और नहीं पंडित जवाहरलाल नेहरू ही थे।

प्रेस की स्वतंत्रता के पक्षधर
पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रेस की स्वतंत्रता के पक्षधर थे। वे कहते थे कि देश में प्रेस की स्वतंत्रता बरकरार रहनी चाहिए। मीडिया द्वारा अपना विरोध किये जाने पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि हो सकता है प्रेस गलती करे, हो सकता है प्रेस ऐसी बात लिख दे जो मुझे पसंद नहीं, मगर प्रेस का गला घोंटने की जगह मैं यह पसंद करूंगा कि प्रेस गलती करे और गलती से सीखे। प्रेस की स्वतंत्रता बरकरार रहनी चाहिए।

'भारत रत्न’ का पुरस्कार
पंडित जवाहरलाल नेहरू को 1955 को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को भारत रत्न से अलंकृत किया।

दिल का दौरा पड़ने से चल बसे नेहरू
प्रधानमंत्री के रूप में 17 वर्षो तक देश का प्रतिनिधित्व करने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू के ऊपर चार बार जानलेवा हमले हुए, लेकिन वे उन हमलों से वह बच निकले। चीन ने भारत पर जब हमला किया, तब युद्ध के दौरान भारत के करीब 1300 सैनिकों की मृत्यु ने नेहरू के दिल को कड़ा अघात पहुंचाया। उन्हें 1963 में दिल का पहला हल्का दौरा पड़ा, जनवरी 1964 में उन्हें और दुर्बल बना देने वाला दूसरा दौरा पड़ा। कुछ ही महीनों के बाद तीसरे दौरे में 27 मई 1964 में उनकी मृत्यु हो गई।

पंडित नेहरु ने अपनी वसीयत में लिखा...
नेहरू ने अपनी वसीयत में लिखा, “जब मैं मर जाऊं, तब मैं चाहता हूं कि मेरी मुट्ठीभर राख प्रयाग के संगम में बहा दी जाए, जो हिन्दुस्तान के दामन को चूमते हुए समंदर में जा मिले, लेकिन मेरी राख का ज्यादा हिस्सा हवाई जहाज से ऊपर ले जाकर खेतों में बिखरा दिया जाए, वो खेत जहां हजारों मेहनतकश इंसान काम में लगे हैं, ताकि मेरे वजूद का हर जर्रा वतन की खाक में मिलकर एक हो जाए।”


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.