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पद्मश्री शारदा सिन्हा ने संस्कृतियों को जिया

पद्मश्री शारदा सिन्हा के 66वें जन्मदिवस पर बिहार म्यूजियम में कार्यक्रम।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 08:10 PM (IST)Updated: Mon, 01 Oct 2018 08:10 PM (IST)
पद्मश्री शारदा सिन्हा ने संस्कृतियों को जिया
पद्मश्री शारदा सिन्हा ने संस्कृतियों को जिया

पद्मश्री शारदा सिन्हा के 66वें जन्मदिवस पर बिहार म्यूजियम में स्वर शारदा: शारदा सिन्हा आर्ट एंड कल्चर फाउंडेशन की ओर से सोमवार को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य एवं कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, अलोक धन्वा, शारदा सिन्हा, ऊषा किरण खान, पूर्णिमा शेखर, डॉ. शांति जैन, रत्ना पुरकायस्था और मगध महिला कॉलेज की प्राचार्य प्रो. शशि सिन्हा ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की।

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हृदय नारायण झा ने कहा कि शारदा सिन्हा ने संस्कृतियों को जिया है। अंशुमान सिन्हा के शारदा सिन्हा आर्ट एंड कल्चर फाउंडेशन की कोशिश दूसरी शारदा सिन्हा खोजने की है। कार्यक्रम के दौरान पद्मश्री पंडित सियाराम तिवारी और पंडित अभय नारायण मल्लिक के शिष्य सुमित आनंद पाण्डेय ने राग मुल्तानी पर आधारित ध्रुपद आलाप, धमार तथा सुल्ताल में रे मन रे तू थिर ना रहत हैं, की प्रस्तुति से लोगों का दिल जीता। मास्टर हर्षित शंकर ने बांसुरी पर राग सरस्वती के रसपूर्ण वादन से पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया।

उपहार के रूप में मिला बेटी का गाना

शारदा सिन्हा के जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में सब से अद्भुत श्रण शारदा सिन्हा की बेटी वंदना भारद्वाज द्वारा मां के लिए गाया गीत रहा। वंदना ने गीमोरा रे अंगनवा से, बाबा दिहले टिकवा, अमृवा महुवा के झूमे डलिया तथा अभी बाली उमरिया के बारी जैसे गानों से मां के साथ श्रोताओं को भाव विभोर किया। वहीं बाल भवन किलकारी के बच्चों ने सूफी गायन और शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम का यादगार बना दिया।

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यादगार है ये जन्मदिन, छठ पर आएगा नया गीत

बिहार में छठ हो या शादी समारोह पद्मश्री शारदा सिन्हा के गीत न बजें तो कार्यक्रम अधूरा है। सोमवार को अपना 66वां जन्मदिन मना रहीं शारदा ने जब बिहार म्यूजियम में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत में मैथिली गीत गुनगुनाया तो केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे भी खुद को तालियां बजाने से नहीं रोक पाए। देश-विदेश में अपनी आवाज की खनक से पहचान बनाने वाली पद्मश्री शारदा सिन्हा ने इस जन्मदिवस को सबसे खास बताया।

आपका सबसे यादगार जन्मदिन कौन सा था?

सब से यादगार तो इस साल का जन्मदिन है। आज का पूरा कार्यक्रम मेरे बच्चों द्वारा आयोजित किया गया है, इससे बेहतर मेरे लिए क्या हो सकता है। आज का दिन मेरे लिए बहुत खास है।

संगीत के लिए कैसे काम करेगा फाउंडेशन?

स्वर शारदा- शारदा सिन्हा आर्ट एंड कल्चर फाउंडेशन युवा पीढि़यों के बीच शास्त्रीय संगीत के प्रति प्रेम और आस्था जगाने के लिए बनाई गई है। लोक परंपरा और संस्कृति आगे लाना ही इस फाउंडेशन का पहला कदम है।

इस बार छठ पर क्या नया सुनने को मिलेगा?

इस बार मैं इस छठ में नया और खास लाने वाली हूं। गीत के बोल तैयार तो हो चुके हैं। बस उसको सुरों में बांधना है। शायद वीडियो शूट न कर सकूं पर पर ऑडियो में लोगों के लिए नया जरूर होगा।

आपको अपना गाया कौन सा गाना पसंद है?

मेरे गाए हुए सारे गाने मेरे लिए खास हैं। हम आपके हैं कौन का विदाई वाला गाना हो या फिर मैंने प्यार किया का गीत ये सारे मेरे दिल के बहुत करीब है। मैं कोई गाना गाती हूं, अपना सौ प्रतिशत देने की कोशिश करती हूं।

इसबार बच्चों ने क्या उपहार दिया?

मेरी जितनी भी साड़ी या कोई भी सामान हो सब बच्चों द्वारा ही पसंद किए जाते हैं। जन्मदिन के मौके पर भी मेरे दोनों बच्चों ने ही मिल कर मुझे तैयार किया है। गिफ्ट से लेकर ये सारा आयोजन मेरे लिएसरप्राइज के रूप में ही है।


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