Move to Jagran APP

Paddy Procurement: बक्‍सर के किसानों ने सरकार से तोड़ी यारी, धान ले जा रहे नेपाल के कारोबारी

Paddy Procurement in Bihar बिहार के किसानों का धान काफी पहले से तैयार हो चुका है लेकिन सरकारी क्रय केंद्रों पर अभी धान खरीद की गति सुस्‍त है। इधर अपनी आर्थिक जरूरतों के लिए किसान धान साहूकारों को कम कीमत पर भी बेचने को मजबूर हैं।

By Shubh NpathakEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 01:59 PM (IST)Updated: Wed, 23 Dec 2020 01:59 PM (IST)
Paddy Procurement: बक्‍सर के किसानों ने सरकार से तोड़ी यारी, धान ले जा रहे नेपाल के कारोबारी
बिहार के बक्‍सर में ट्रक पर धान लादते किसान। जागरण

बक्‍सर/इटाढ़ी, दिलीप कुमार ओझा। Paddy Procurement in Bihar: मौसम का साथ मिला और इस बार धान के कटोरा कहे जाने वाले बिहार के शहाबाद प्रक्षेत्र में अच्छी फसल हुई है। अभी तक सरकारी खरीद के रफ्तार नहीं पकड़ने से बंपर पैदावार अब किसानों के लिए मुसीबत बन गई है। ऐसे में धान बेचने के नए विकल्प तलाशे जा रहे हैं। बिहार के बक्‍सर जिले में धान बेचने के लिए व्याकुल किसानों को नेपाल के कारोबारियों का सहारा मिला है। हालांकि, बाहर के व्यापारी न्यूनतम विक्री दर (एमएसपी) तो नहीं दे रहे हैं, लेकिन खलिहान में आकर धान खरीद रहे हैं। ऐसे में किसान भी उन्हें धन बेचने में हिचक नहीं रहे हैं।

loksabha election banner

नमी का बहाना बनाकर क्रय केंद्रों पर टरका रहे अधिकारी

दरअसल, हर साल की तरह इस साल भी धान की अधिप्राप्ति आधा से ज्यादा दिसंबर गुजर जाने के बाद भी सुस्त है। पैक्स नमी का बहाना बना किसानों को टरका रहे हैं। सरकारी संस्थान में कई तरह के नियम कानून के चलते बहुत किसान अपना धान 13से 14चौ रुपये प्रति क्विंटल के भाव में सेठ-साहूकार के हाथों बेच दे रहे है। इसका फायदा स्थानीय व्यवसायी सहित नेपाल के कारोबारी उठा रहे है। व्यापारी खलिहान से ही धान ट्रक पर लोड कर सीधे नेपाल भेज रहे हैं।

सरकारी केंद्र पर धान बेचना किसानों के लिए नहीं आसान

किसान सुरेश सिंह, श्रीभगवान यादव व रामशंकर दुबे के अनुसार सरकारी संस्थान में धान बेचना आसान नही है। पहले बोरा खरीद कर उसमें मजदूरों की सहायता से भरना पड़ता है, फिर वाहन के सहारे क्रय केंद्र पर पहुंचाना पड़ता है। इस प्रक्रिया में पैसे खर्च कर इंतजार करना मजबूरी है। फिर धान कटने के बाद सबसे बड़ी समस्या धान में नमी की आती है। पैक्स वाले धान में नमी को अपना हथियार बनाकर खरीदारी करने से बचते रहते हैं। एक व्यवसायी के अनुसार धान जहानाबाद या अररिया सहित अन्य जिले के कारोबारी को बेचा जाता है। वे लोग यहां से अपने वाहनों पर धान लादकर नेपाल में बेचते हैं। इससे वास्तविक लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है। पैसों की आवश्यकता तथा जरूरी कार्य के कारण किसान औने पौने दाम में खेतो की उपज बेचते रहते हैं।

पैक्स के पेचीदा नियमों से हो रही समस्या

जिला प्रशासन की पहल पर अमूमन हर पैक्स में धान की खरीदारी शुरू हो गई है, लेकिन, पैक्सों को धान बेचना कोई आसान कम नहीं है। किसानों के अनुसार पैक्स या सरकारी संस्थान में धान बेचने के लिए पहले बोरा खरीदना पड़ रहा है। जिसकी कीमत प्रति बोरा 25 से 27 रुपए आ रहा है। उसके बाद 20 रुपये प्रति क्विंटल मजदूरों को देकर बोरा में धान भरवाना पड़ता है। फिर किराया भाड़ा देकर खलिहान से क्रय केंद्र पर ले जाना पड़ रहा है। वहां जाने के बाद धान की नमी मापी जाती है और उसमें नमी 17 फीसदी से ऊपर आ गया तो सारे किए-कराए पर पानी फिर जाता है और किसानों को अपना धान लेकर वापस लौटना पड़ता है। ऐसे में किसान सोचते हैं कि भले ही मूल्य कुछ कम मिले, लेकिन उनका धान खलिहान से ही बिक जाए। हालांकि, सरकार बोरी के लिए किसानों को अलग से भुगतान कर रही है।

जिम्‍मेदार अधिकारी ने ये कहा

सहाकारिता विभाग के उप निदेशक अखिलेश कुमार ने कहा कि किसानों को बोरी के लिए चिंता नहीं करनी है, एमएसपी के अतिरिक्त प्रति बोरी के लिए अलग से 25 रुपये उन्हें दिए जा रहे हैं। मानक के अनुसार नमी रहने पर उनका धान न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर जरूर खरीदा जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.