आया है सो जाएगा, राजा रंक फकीर ..
आया है सो जाएगा राजा रंक फकीर कोरोना भी जाएगा पत्थर खींच लकीर..
पटना। 'आया है सो जाएगा राजा, रंक, फकीर, कोरोना भी जाएगा पत्थर खींच लकीर..', 'जिस बस्ती से भागकर शहर अनजान, वह बस्ती भी अब नहीं रही उसे पहचान..' कुछ ऐसी ही कविताओं की चंद पंक्तियों को साहित्यकार पंडित बुद्धिनाथ मिश्र ने फेसबुक लाइव के दौरान सुनाई। बिहार हिदी साहित्य सम्मेलन की ओर से शनिवार को सम्मेलन के फेसबुक लाइव पेज पर साहित्यकार ने एक से बढ़कर एक कविताओं को पेश कर साहित्यप्रेमियों को आनंदित किया। उन्होंने कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखकर गांव से शहर में आकर बसे प्रवासियों को केंद्रित करते हुए 'मजदूरों ने चख लिया महानगर का स्वाद, रोटी पर घी की जगह लहू रखे जल्लाद' पेश कर मजदूरों के दर्द को बयां किया। सावन मास पर उन्होंने 'सावन की गंगा जैसी गदराई तेरी देह, बिन बरसे न रहेंगे अब ये काले मेह..' प्रेम और विरह पर आधारित कवि ने 'नदिया के पार जब दिया टिमटिमाए, अपनी कसम मुझे तुम्हारी याद आए..' पेश कर दर्शकों को पूरा मनोरंजन कराया। कवि ने जीवन पर अपने विचार देते हुए कहा कि 'जिंदगी अभिशाप भी, वरदान भी, जिदंगी दुख में पला अरमान भी..'। कार्यक्रम के दौरान सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने अतिथि कवि का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में डिजिटल आयोजनों का महत्व बढ़ा है। इस तरह के आयोजन से साहित्य के प्रति रुचि बनाए रखने में मदद मिलेगी। साथ ही नये पाठक और श्रोता भी मिलेंगे। उन्होंने कहा कि सम्मेलन की ओर से इस तरह के आयोजन आगे भी कराए जाएंगे। कार्यक्रम का आनंद साहित्य प्रेमियों ने खूब उठाया।