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RTI पर डंडा: यह बिहार है जनाब, यहां सूचना मांगने पर डराते हैं अफसर

बिहार में सूचना के अधिकार कानून पर अफसरों ने डंडा चला रखा है। प्रदेश भर में अफसरों ने आम आदमी के जानने के हक को सीमित कर दिया है। पढ़ें पड़ताल करती यह रिपोर्ट।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 10:56 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 10:56 AM (IST)
RTI पर डंडा: यह बिहार है जनाब, यहां सूचना मांगने पर डराते हैं अफसर
RTI पर डंडा: यह बिहार है जनाब, यहां सूचना मांगने पर डराते हैं अफसर

पटना [दीनानाथ साहनी]। बिहार में सूचना के अधिकार कानून पर अफसरों ने डंडा चला रखा है। प्रदेश भर में अफसरों ने आम आदमी के जानने के हक को सीमित कर दिया है। यही वजह है कि बिहार राज्य सूचना आयोग में अफसरों के विरुद्ध शिकायतों की सूची लंबी होती जा रही है। 18 जनवरी तक 329 लोक सूचना पदाधिकारियों के खिलाफ बिहार राज्य सूचना आयोग में शिकायत दर्ज करायी गयी है। आरोप है कि आरटीआइ के तहत मांगी गई सूचना की 1543 आवदेनों को बिना कारण बताए खारिज कर दिया गया। अफसरों पर कई और तरह के आरोप भी लगाए गए हैं। इतना ही नहीं, कई मामले ऐसे भी हैं कि सूचना मांगने पर अफसर डराते हैं। 

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पहले जनहित की सूचना साबित करो, फिर लो जानकारी

सारण के आरटीआइ कार्यकर्ता बुद्धदेव मिश्र ने सूचना आयोग में विभिन्न विभागों के नौ लोक सूचना पदाधिकारियों पर मानसिक प्रताडऩा का आरोप लगाया है। मिश्र के मुताबिक अक्टूबर से दिसंबर 2018 तक आरटीआइ के तहत 19 बार आवेदन दिए, पर हर बार यही कहा गया कि जो सूचना मांगे हो, उसे पहले साबित करो, फिर जानकारी दी जाएगी। चार बार शपथ पत्र मांगा गया। 

कानून का बना दिया मजाक

बक्सर के आरटीआइ वर्कर शिवप्रकाश राय के मुताबिक राज्य सूचना आयोग में 500 से ज्यादा अवादेन सिर्फ आरोपपत्र से जुड़े हैं। अफसरों ने आरटीआइ कानून को मजाक बनाकर रख दिया है। सूचना मांगने में शब्द सीमा तय करने जैसी कई पाबंदियां लगा दी हैं। ऐसा नहीं करने पर सूचना मांगनेवालों को टहला दिया जाता है।

सूचना मांगने पर डराते हैं अफसर

राज्य सूचना आयोग से जुड़े केस की स्टडी में कई रोचक मामले उजागर हुए हैं। सूचना के अधिकार कानून का अनुपालन कराने का जिम्मा जिन अफसरों के ऊपर है, वही सूचना मांगने वालों को डराते हैं। यदि कोई आवेदक ज्यादा दबाव बनाकर सूचना लेता है तो उस पर झूठे केस दर्ज करा देते हैं। ऐसे चार दर्जन से ज्यादा मामले आयोग में आए हैं। मुजफ्फरपुर के आरटीआइ कार्यकर्ता रंजीत झा के मुताबिक उन्हें रंगदारी के झूठे मुकदमे में इसलिए फंसा दिया गया, क्योंकि उन्होंने जिला पुलिस में व्याप्त वित्तीय अनियमितता की जानकारी मांगी थी। 

RTI के दायरे को सीमित करने की साजिश

गोपालगंज के सेवानिवृत्त शिक्षक राम अटल चौधरी ने बताया कि सूचना के अधिकार कानून का दायरा लगातार सीमित करने की कोशिश हो रही हैं। उन्होंने बताया कि  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से एक डॉक्टर की गैरहाजिरी और प्राइवेट क्लीनिक चलाने के बारे में जब मैंने जानकारी मांगी तो जिला समाहरणालय के अधिकारी ने जवाब देने के बदले साक्ष्य मांगा।


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