अब मुगलसराय से सीधे पटना तक पहुंचेंगी ट्रेनें, दानापुर में बनेगी रूट रिले इंटरलाकिंग
मुगलसराय से कोई भी लंबी दूरी की ट्रेन समय से चलते हुए आरा तक पहुंच जाती है। इससे यात्रियों को खासी परेशानी होती है। अब एेसा नहीं होगा। सीधे ट्रेन पटना आ सकेगी।
By Edited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 01:32 AM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 04:21 PM (IST)
पटना, जेएनएन। मुगलसराय से कोई भी लंबी दूरी की ट्रेन समय से चलते हुए आरा तक पहुंच जाती है। आरा से दानापुर पास करने में लंबी दूरी की ट्रेनों को कभी-कभी घंटों लग जाते हैं। कभी-कभी तो नेउरा से दानापुर की पांच किमी की दूरी तय करने में एक घंटा तक लग जाता है। कारण एक ही होता है- प्लेटफॉर्म खाली नहीं है। ऐसा नहीं है कि दानापुर स्टेशन पर प्लेटफॉर्म खाली नहीं होता है, यहां एक प्लेटफॉर्म से दूसरे पर ट्रेनों को लाने-जाने की कोई व्यवस्था नहीं है। पुरानी मैनुअल व्यवस्था से ट्रैक बदला जा रहा है।अब दानापुर स्टेशन के भी दिन बहुरने वाले हैं। यहां भी शीघ्र ही रूट रिले इंटरलाकिंग का काम होने जा रहा है। इस कार्य में 40 करोड़ रुपये खर्च आने की संभावना है।
आरआरआइ होने के बाद ट्रेनें निर्बाध रूप से चलने लगेंगी
आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले दस वर्षो से यहां रूट रिले इंटरलॉकिग का काम केबल नहीं रहने के कारण लटका हुआ था। जितने भी मंडल रेल प्रबंधक दानापुर में पदस्थापित किए गए सबों ने कोशिश की परंतु आज तक उन्हें सफलता नहीं मिली। दैनिक जागरण की ओर से रेलमंत्री पीयूष गोयल से केबल न होने की शिकायत की गई थी। इसके बाद से पूर्व मध्य रेल को केबल की आपूर्ति की गई। अकेले दानापुर मंडल में ही रूट रिले इंटरलाकिंग कार्य के लिए 1200 किमी केबल की आवश्यकता है। एक किमी केबल की कीमत एक लाख रुपये के आसपास होती है। आरआरआइ कार्य में 40 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होने की संभावना है। पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक ललित चन्द्र त्रिवेदी एवं दानापुर रेल मंडल प्रबंधक रंजन प्रकाश ठाकुर की ओर से दानापुर में आरआरआइ की पुरजोर कोशिश की जा रही है।
अब तक इसके लिए अधिकारियों की 28 बैठकें हो चुकी हैं। आरआरआई की तिथि तो अभी तय नहीं हुई है परंतु इसे अगले साल फरवरी माह में संपन्न करा लेना है। क्या-क्या होगा फायदा? अब ट्रेनों का परिचालन आधुनिक तरीके से होने लगा है। रूट रिले इंटरलाकिंग से ऑटोमेटिक रूप से ट्रेन को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर भेज दिया जाता है। अभी जहां दानापुर में एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर ट्रेनों को लेना संभव नहीं है। अप लाइन की ट्रेनें अप में ही और डाउन लाइन की ट्रेनें डाउन ट्रैक पर ही ली जा सकती है। इसके कारण प्लेटफार्म खाली रहने के बावजूद ट्रेनों को दूसरे प्लेटफार्म पर नहीं लाया जा सकता है। आरआरआई होने से बिहटा से ही ट्रेनों को सिग्नल दानापुर तक मिल जाएगा।
आरआरआइ होने के बाद ट्रेनें निर्बाध रूप से चलने लगेंगी
आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले दस वर्षो से यहां रूट रिले इंटरलॉकिग का काम केबल नहीं रहने के कारण लटका हुआ था। जितने भी मंडल रेल प्रबंधक दानापुर में पदस्थापित किए गए सबों ने कोशिश की परंतु आज तक उन्हें सफलता नहीं मिली। दैनिक जागरण की ओर से रेलमंत्री पीयूष गोयल से केबल न होने की शिकायत की गई थी। इसके बाद से पूर्व मध्य रेल को केबल की आपूर्ति की गई। अकेले दानापुर मंडल में ही रूट रिले इंटरलाकिंग कार्य के लिए 1200 किमी केबल की आवश्यकता है। एक किमी केबल की कीमत एक लाख रुपये के आसपास होती है। आरआरआइ कार्य में 40 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होने की संभावना है। पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक ललित चन्द्र त्रिवेदी एवं दानापुर रेल मंडल प्रबंधक रंजन प्रकाश ठाकुर की ओर से दानापुर में आरआरआइ की पुरजोर कोशिश की जा रही है।
अब तक इसके लिए अधिकारियों की 28 बैठकें हो चुकी हैं। आरआरआई की तिथि तो अभी तय नहीं हुई है परंतु इसे अगले साल फरवरी माह में संपन्न करा लेना है। क्या-क्या होगा फायदा? अब ट्रेनों का परिचालन आधुनिक तरीके से होने लगा है। रूट रिले इंटरलाकिंग से ऑटोमेटिक रूप से ट्रेन को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर भेज दिया जाता है। अभी जहां दानापुर में एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर ट्रेनों को लेना संभव नहीं है। अप लाइन की ट्रेनें अप में ही और डाउन लाइन की ट्रेनें डाउन ट्रैक पर ही ली जा सकती है। इसके कारण प्लेटफार्म खाली रहने के बावजूद ट्रेनों को दूसरे प्लेटफार्म पर नहीं लाया जा सकता है। आरआरआई होने से बिहटा से ही ट्रेनों को सिग्नल दानापुर तक मिल जाएगा।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें