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बिहार में अब पंचायतों की राशि का भगुतान करेंगे पंचायती राज पदाधिकारी, योजनाओं की मानीटरिंग करेंगे BDO

बिहार में 15वें वित्‍त आयोग के तहत पंचायतों को राशि का भगुतान अब पंचायती राज पदाधिकारी करेंगे। सरकार ने उन्‍हें वित्‍तीय अधिकार दिए जाने का आदेश दे दिया है। बीडीओ अब स्‍थापना का काम देखेंगे तथा योजनाओं की मानीटरिंग करेंगे।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 01:22 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 01:22 PM (IST)
बिहार में अब पंचायतों की राशि का भगुतान करेंगे पंचायती राज पदाधिकारी, योजनाओं की मानीटरिंग करेंगे BDO
बिहार में पंचायतों की राशि का भगुतान करेंगे पंचायती राज पदाधिकारी। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

पटना, राज्य ब्यूरो। आखिरकार प्रखंडों में तैनात पंचायत राज पदाधिकारियों को वित्तीय अधिकार मिल हीं गया। कानून में संशोधन के जरिए उन्हें पंचायत समिति का कार्यपालक पदाधिकारी पहले बना दिया गया था, लेकिन वित्तीय अधिकार नहीं रहने के कारण वे कुछ कर नहीं पा रहे थे। पंचायती राज निदेशक डा. रणजीत कुमार सिंह के ताजा आदेश के बाद पंचायत राज अधिकारियों को वित्तीय अधिकार दे दिया गया है। इस आदेश के जरिए जिलाधिकारियों को कहा गया है कि वे पंचायत राज पदाधिकारियों के डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DAC) बनाएं। डीएससी बन जाने पर पंचायत राज पदाधिकारियों का हस्ताक्षर बैंकों से लेन-देन के लिए मान्य हो जाता है।

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अब पंचायतों काे राशि का भुगतान पंचायती राज अधिकारी के हस्ताक्षर से होगा तथा प्रखंड विकास पदाधिकारी योजनाओं की मानिटरिंग करेंगे।

पंचायतों में बैंकों के जरिए होता है भुगतान

मालूम हो कि त्रिस्तरीय पंचायतों में होने वाले कार्यों का भुगतान बैंकों के जरिए ही होता है। सामग्री आपूर्ति करने वालों के खाते में भुगतान होता है। पंचायती राज विभाग के नए आदेश के मुताबिक 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों से मिली राशि का भुगतान पंचायती राज अधिकारी के हस्ताक्षर से होगा। बीडीओ स्थापना का काम देखेंगे। वे योजना की मानिटरिंग करेंगे। पंचायत समिति के प्रमुख की भूमिका में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

परेशानी हो रही थी

अभी तक नहीं मिला था वित्तीय अधिकार

पंचायत राज पदाधिकारियों को वित्तीय अधिकार न मिलने के कारण सामान आपूर्ति करने वाले वेंडरों और श्रमिकों का भुगतान नहीं हो पा रहा था। पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही योजनाओं के मामले में बीडीओ के वित्तीय अधिकार स्थगित कर दिए गए थे। लेकिन, कोई वैकल्पिक उपाय नहीं किया गया था।


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