अब फाइलों से धूल हटा रहे दारोगा-इंस्पेक्टर, 20 हजार से अधिक केस जिले में है लंबित
लॉकडाउन में पब्लिक की मददगार बनी पुलिस का ध्यान विवेचना के कामों से हट गया था। आलम ये है कि जिले में पेंडिंग केस की संख्या बढ़ती जा रही है।
पटना, जेएनएन। लॉकडाउन में चेक पोस्ट बैरियर, हॉटस्पॉट और पब्लिक की मददगार बनी पुलिस का ध्यान विवेचना के कामों से हट गया था। मुकदमे की फाइलों को अलमारी में रखकर भूल चुके अनुसंधानकर्ता, अब उस पर जमी धूल हटाने में जुट गए हैं। एसएसपी उपेन्द्र कुमार शर्मा ने लंबित मामलों के निस्तारण के साथ ही ग्रामीण एसपी, सेंट्रल, पूर्वी और पश्चिमी सिटी एसपी को लक्ष्य दिया है कि संगीन मामलों में हर महीने सौ-सौ गिरफ्तारियां करें।
लॉकडाउन के दौरान हर थाने में दर्ज हुए मुकदमे
जिले में करीब 20 हजार से अधिक मामले लंबित हैं। हर थानों में लॉकडाउन के दौरान भी मुकदमे दर्ज हुए हैं। मुकदमों की विवेचना 90 दिन में पूरी करने का नियम है। कई बार विवेचक कार्रवाई पूरी नहीं कर पाते हैं। इसका लाभ आरोपियों को मिलता है। हालांकि चार्जशीट दाखिल करने में हुई देरी की वजह भी पुलिस बताती है।
पुलिस सूत्रों की मानें तो अप्रैल और मई में विवेचना से संबंधित अधिकांश थानों में अनुसंधानकर्ता काम नहीं कर सके। बावजूद करीब आठ सौ फाइलों का निस्तारण किया गया है। अब पहले की तरह थानों में कामकाज शुरू होने से लंबित मामलों के निस्तारण में तेजी आएगी।
ताकि आरोपित जेल से न आ सके बाहर
एसएसपी ने थानेदारों के साथ क्राइम मीटिंग कर निर्देश दिया कि जो अपराधी जेल में हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई पूरी की जाए। ताकि वे जमानत पर जेल से बाहर न आ सकें। सांप्रदायिक तनाव, लूट, हत्या, डकैती, दुष्कर्म सहित अन्य संगीन मामलों में जो भी जेल में है उसकी कुंडली खंगाली जाए। एसएसपी ने कहा कि ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार करें, जो जेल से बाहर हैं। गौरतलब हो कि लॉकडाउन में ढील मिलते ही अपराध का ग्राफ बढ़ गया है। पटना में हत्या, छेड़छाड़ और लूट के वारदात आए दिन सामने आने लगी है। ऐसे में अपराधियों को पकड़ना पुलिस के लिए भी चुनौती बन गया है।