Cyber Crime Alert: अब हैकर्स ने बना लिया है ये नया हथियार, QR कोड से जरा बचके..
साइबर ठगों ने आपके पैसे चुराने का नया तरीका ईजाद कर लिया है। अब वे एप से क्यूआर कोड बना रहे हैं। एेसे में आपको और अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। जानिए क्या करना चाहिए...
पटना, आशीष शुक्ल। क्यूआर कोड (क्विक रिस्पॉस कोड) आजकल पेमेंट देने और लेने का आसान तरीका है। इसमें न तो नोट देने की जरूरत है और न ही सिक्के गिनने का झंझट। कोड को फोन के जरिए स्कैन करिए और हो गया पेमेंट। पेमेंट लेने और देने की इस सुविधा को हैकर्स 'असुविधा' में बदल रहे हैं। हैकर्स ने क्यूआर कोड को साइबर फ्रॉड का नया हथियार बना लिया है।
दस रुपए में जीता भरोसा, फर्जी निकला हैकर्स का पता
कोतवाली थाना क्षेत्र के दारोगा राय पथ निवासी संतोष कुमार ने अपने सहयोगी को ऑनलाइन मार्केट प्लेस पर एक विज्ञापन डालने को कहा। विज्ञापन के जरिए वह अपना आईफोन बेचना चाह रहे थे। उस पर अपना मोबाइल नंबर और मोबाइल की तस्वीर भी अपलोड करा दी।
विज्ञापन डालने के कुछ मिनट बाद ही उनके पास एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने आइफोन खरीदने की इच्छा जाहिर की। ठग ने भुगतान दो किस्तों में करने को कहा। उसने भरोसा जीतने के लिए उनके खाते में क्यू आर कोड स्कैन करवा कर दस रुपया डाल दिए।
हैकर्स ने फिर दूसरा क्यूआर कोड भेजा और उसे 20 हजार रुपये का बताया। संतोष ने जैसे ही क्यूआर कोड को स्कैन किया, उसके ही खाते से 20 हजार रुपए कट गए। कुछ देर बाद जब पीडि़त ने उस नंबर पर फोन किया तो नंबर ऑफ बताने लगा। तब उन्हें ठगी का एहसास हुआ।
हैकर्स ऐसे करते हैं फर्जीवाड़ा
हैकर्स सबसे पहले ग्राहक का नंबर हासिल करता है। फिर वह एक एप के जरिए क्यूआर कोड बनाता है। क्यूआर कोड बनाने के बाद फिर एसएमएस या वाट्सएप जैसे सोशल नेटवर्किंग के जरिए भेज उसे सर्कुलेट करता है। फ्रॉड करने वाले लॉटरी या अन्य कोई लालच के जरिए लोगों को फंसाने की कोशिश करते हैं। उन्हें जैसे ही किसी उपभोक्ता की ओर से रिस्पॉन्स मिलने लगता है, वैसे ही जालसाज सक्रिय हो जाते हैं।
इसके बाद वह वे कई तरह की प्रक्रिया को कराते हैं, जब यूजर्स पूरी तरह से फ्रॉड के झांसे में आ जाता है तो अंत में वाट्सएप के जरिए क्यूआर कोड को स्कैन करने के लिए कहते हंै, जैसे ही क्यूआर कोड स्कैन किया जाता है, अकाउंट के रकम गायब हो जाती है।
तो हो जाएं सावधान....
- अगर कोई क्यूआर कोड भेजकर आपसे भुगतान मांग रहा है, तो इससे बचें।
- बैंक ग्राहक को कॉल करने के लिए मोबाइल नंबर का इस्तेमाल नहीं करता है।
- अगर वेबसाइट पर पे लॉग इन करते हैं तो लॉगआउट जरूर करें।
- साइबर कैफे में इंटरनेट बैकिंग का प्रयोग कभी ना करें।
- गूगल पर हेल्पलाइन नंबर न सर्च करें। पायरेटेड सॉफ्टवेयर से सावधान रहें।
- सोशल मीडिया पर दोस्तों से मिले लिंक पर क्लिक करने से पहले जरूर सोचें।