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बिहार में सरकारी सेवाओं में दिव्यांगों को अब तीन की जगह चार प्रतिशत आरक्षण, इन्हें भी फायदा

राज्य सरकार ने उन शिक्षण संस्थानों के नामांकन में भी दिव्यांग जनों को आरक्षण देने का फैसला किया है जिसे शासन से आर्थिक मदद दी जाती है। इसके अलावा सरकारी सेवाओं में भी दिव्यांगों का आरक्षण तीन से बढ़ा कर चार प्रतिशत कर दिया गया है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 29 Jan 2021 04:22 PM (IST)Updated: Fri, 29 Jan 2021 05:24 PM (IST)
बिहार में सरकारी सेवाओं में दिव्यांगों को अब तीन की जगह चार प्रतिशत आरक्षण, इन्हें भी फायदा
बिहार सरकार ने दिव्यांगों को आरक्षण देने के पुराने नियम को बदला है। प्रतीकात्मक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: राज्य सरकार ने उन शिक्षण संस्थानों के नामांकन में भी दिव्यांग जनों को आरक्षण देने का फैसला किया है, जिसे शासन से आर्थिक मदद दी जाती है। इससे पहले आरक्षण की यह सुविधा सिर्फ सरकारी शिक्षण में दी जाती थी। इसके अलावा सरकारी सेवाओं में भी दिव्यांगों का आरक्षण तीन से बढ़ा कर चार प्रतिशत कर दिया गया है। दिव्यांग जनों को केंद्र की तरह विभिन्न संस्थाओं में आरक्षण की सुविधा देने के लिए राज्य सरकार ने अपने पुराने नियमों में संशोधन किया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने नियमों में इसके लिए संकल्प जारी किया है। 

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संकल्प के मुताबिक अब सरकारी नौकरियों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों के दाखिले में भी पहले से अधिक आरक्षण मिलेगा। पहले नौकरियों में तीन प्रतिशत आरक्षण मिलता था। अब यह चार प्रतिशत हो गया है। इसी तरह दाखिले में चार की जगह पांच प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण मिलेगा। सरकार से अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को आर्थिक सहायता दी जाती है। इनमें कई महत्वपूर्ण संस्थान हैं, जहां दाखिले के लिए भीड़ लगती है। संकल्प में कहा गया है कि कोई भी सरकारी स्थापना नियोजन संस्थान किसी भी मामले में दिव्यांग जनों के साथ विभेद नहीं करेगा। 

सेवाकाल में दिव्यांग हुए लोगों को लाभ

नए प्रावधान के मुताबिक अगर कोई सरकारी सेवक सेवा काल के दौरान दिव्यांग हो जाता तो उसके रैंक, वेतन एवं अन्य सुविधाओं में कोई कटौती नहीं होगी। अगर वह व्यक्ति दिव्यांगता के चलते पूर्व धारित पद पर काम करने के योग्य नहीं रह जाता है तो उसे समान वेतन एवं अन्य सुविधाओं के साथ किसी अन्य पद पर स्थानांतरित किया जाएगा। अगर वह सेवक किसी पद पर काम करने लायक नहीं रह जाता है, तब भी उसकी नौकरी कायम रहेगी। 

बौद्धिक दिव्यांगता

आरक्षण का लाभ बौद्धिक रूप से दिव्यांग लोगों को भी मिलेगा। इस श्रेणी में उन्हें रखा जाएगा, जिनमें तर्क और समस्या के समाधान करने की क्षमता न हो। दिव्यांगता निर्धारण के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन का प्रावधान किया गया है। प्रतियोगिता पर आधारित नियुक्ति प्रक्रिया में दिव्यांगों को आयु सीमा में 10 वर्ष की छूट दी जाएगी। 


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