गठबंधन में बड़ा छोटा नहीं, हर दल बराबर: भूपेंद्र यादव, राज्यसभा सांसद, भाजपा महासचिव व बिहार प्रभारी
नीतीश कुमार लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने वाले हैैं। लेकिन चौंकाया भाजपा ने। नंबर वन पार्टी के करीब पहुंची भाजपा ने यह स्थापित कर दिया कि बिहार में उसका जनाधार आकलन से थोड़ा ज्यादा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चमक भी बरकरार है।
बिहार में कांटे की टक्कर में आखिरकार राजग ने बाजी मार ली। नीतीश कुमार लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने वाले हैैं। लेकिन चौंकाया भाजपा ने। नंबर वन पार्टी के करीब पहुंची भाजपा ने यह स्थापित कर दिया कि बिहार में उसका जनाधार आकलन से थोड़ा ज्यादा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चमक बेदाग है। बिहार में भाजपा की जीत का खाका बुनने वालों में शामिल प्रदेश के प्रभारी महासचिव भूपेंद्र यादव ने दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से बातचीत की। पेश है एक अंश-
- भाजपा ने बिहार में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। क्या कोई खास रणनीति अपनाई गई थी?
उत्तर- भाजपा की रणनीति तो केवल विश्वसनीयता और जनसंपर्क होती है। बिहार में भी पांच हजार से ज्यादा ग्राम पंचायत में हमारे सांसद से लेकर सभी प्रमुख नेता पहुंचे थे। लोगों तक हमारी बात पहुंची थी और जनता हमारी मंशा जानती थी। दूसरा नीचे तक हमारा संगठन और कार्यकर्ता जुड़े हुए थे। एक पोर्टल भी था। यानी एकजुट प्रयास था। सभी ने मेहनत की और नतीजा दिख रहा है।
- लेकिन क्या आपको भाजपा की इतनी बड़ी जीत की आशा थी?
उत्तर- सच कहूं तो हमें इससे भी अच्छा प्रदर्शन की उम्मीद थी।
- पहले और दूसरे चरण में राजग बहुत अच्छा नहीं कर पाया। तीसरे चरण में भरपाई हुई। कहां कमी रह गई थी?
उत्तर- मैैं मानता हूं कि पहले चरण में लोजपा के झूठ के कारण थोड़ी परेशानी हुई थी। लेकिन बहुत जल्द भ्रम का कोहरा पूरी तरह खत्म हो गया। लेकिन दूसरे और तीसरे चरण में तो हमने बहुत अच्छा किया।
- तो क्या लोजपा ने नुकसान किया?
उत्तर- भ्रम की स्थिति बहुत लंबी चलती नहीं है लेकिन असमंजस पैदा होना तो नुकसानदायक होता ही है। पहले चरण में जदयू ही ज्यादा सीटों पर था। लेकिन फिर भी अच्छा प्रदर्शन हुआ।
- सीमांचल में राजग में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन इसी में एआइएमआइएम जैसी कट्टïर विचारधारा वाली पार्टी ने भी पांच सीटें जीत ली। यह बिहार के लिए कितना सही या गलत है?
उत्तर- देखिए, राजनीति में हर पार्टी का उद्देश्य खुद का विस्तार होता है। लेकिन मेरा मानना है कि धार्मिक आधार पर धु्रवीकरण करने वाली ऐसी ताकतों को रोकना चाहिए।
- पूरे चुनाव में देखा गया कि सत्ताविरोधी लहर राजग को परेशान कर रही थी। ऐसे में क्या राजग की जीत का सेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है?
उत्तर- देखिए राजग एकजुट होकर लड़ा था और जीत में सबकी भूमिका है। लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि प्रधानमंत्री जी हमारे सबसे चमकते चेहरे हैैं। वह भी बिहार गए और लोगों को विश्वास दिलाया और उसका असर हुआ है। कुछ लोगों ने भ्रम फैलाने की कोशिश की थी वह भी बेनकाब हो गए।
- फिर से एक चर्चा शुरू हो गई है कि भाजपा को अपनी पार्टी के नेतृत्व के बारे में सोचना चाहिए?
उत्तर- भाजपा हमेशा से गठबंधन धर्म को निभाती है। केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व दोनों की ओर से यह साफ किया जा चुका है। बिहार के सामाजिक समीकरण में भी राजग के मजबूत गठबंधन की आवश्यकता है।
- भाजपा अब बड़ा भाई हो चुका है। क्या भविष्य में इसका असर दिखेगा और बिहार में भी भाजपा राजग की कमान संभालेगी?
उत्तर- गठबंधन में सभी बराबर के भाई होते हैैं। आपसी सहयोग से भी सभी बढ़ते हैैं। यही हमारा दर्शन है।
- भाजपा राजग के मुकाबले बड़ी संख्या में सीटें लेकर आई है। क्या कैबिनेट मे बड़ी हिस्सेदारी मिलेगी?
उत्तर- यह तो संसदीय बोर्ड का विषय है, उन्हें ही तय करना है।
- बिहार में लोजपा की जगह वीआइपी पार्टी से गठबंधन कितना फायदेमंद रहा। खुद वीआइपी के मुखिया चुनाव हार गए?
उत्तर- उनकी पार्टी ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। नई पार्टी होने के बावजूद चार सीटें जीती हैैं। मेरा मानना है कि भविष्य में भी यह पार्टी हमारे साथ मिलकर अच्छा काम करेगी।
- अगले साल पश्चिम बंगाल में भी चुनाव है। क्या वहां इसका असर दिखेगा।
उत्तर- निश्चित रूप से। वहां हमारी पार्टी की स्थिति बहुत अच्छी है। ममता बनर्जी के तानाशाही रवैए के कारण लोगों में गुस्सा है। भाजपा अकेली विकल्प है और मेरा मानना है कि लोगों ने भाजपा को लाने का मन बना लिया है।