कोरोना काल में आराम नहीं, जनसेवा ही लक्ष्य
डॉ. नेहा सिंह अपने पांच साल के बेटे को घर पर छोड़ मरीजों की सेवा में जुटी हैं। कोरोना काल में आराम नहीं जनसेवा ही उनका लक्ष्य है। इसीलिए तो उन्होंने पिछले साल छुट्टी नहीं लीं।
पिंटू कुमार, पटना
डॉ. नेहा सिंह अपने पांच साल के बेटे को घर पर छोड़ मरीजों की सेवा में जुटी हैं। कोरोना काल में आराम नहीं, जनसेवा ही उनका लक्ष्य है। इसीलिए तो उन्होंने पिछले साल छुट्टी नहीं लीं। इस वर्ष भी उन्होंने अवकाश नहीं लेने का मन बनाया है। कोरोना का डर तो है, पर ड्यूटी जरूरी है। एहतियात बरतते हुए कार्य कर रही हैं।
डॉ. नेहा पटना के एम्स में ब्लड बैंक में मेडिकल ऑफिसर के रूप में पिछले छह वर्षो से तैनात हैं। सिर्फ यही नहीं, ये इस ब्लड बैंक की पहली फैकल्टी भी हैं। इन्होंने सीनियर रेजिडेंट के रूप में यहा ज्वाइन किया था। 36 वर्षीय डॉ. नेहा के पति डॉ. निखिल रंजन भी आइजीआइएमएस में यूरोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में तैनात हैं।
डॉ. नेहा अपने पाच साल के बेटे को मेड सर्वेंट के हवाले छोड़ ड्यूटी पर जाती हैं। सुबह नौ से शाम पाच बजे तक उन्हें ड्यूटी करनी होती है। कभी कभी उन्हें 8 बजे रात तक भी रुकना पड़ता है।
डॉ. नेहा कहती हैं, जिनके पास डोनर नहीं होता है वैसे लोगों की भी मदद की जाती है। फैकल्टी ग्रुप और एनजीओ से संपर्क कर ब्लड उपलब्ध करवाते हैं। सशस्त्र सीमा बल, दानापुर और बिहटा एयरफोर्स, बिहटा में भी ब्लड डोनेशन कैंप भी लगवा चुकी हैं। यहां कार्य कर रहे 40 लोगों को समय-समय पर प्रशिक्षण भी देती हैं। ब्लड डोनेशन के साथ ही अन्य कार्यो पर भी बारीकी से नजर रखती हैं।
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युवाओं से रक्तदान
करने की अपील
डॉ. नेहा ने पटना के युवाओं से अपील की कि आप रक्तदान को आगे आएं। रक्तदान कर आप किसी की जिंदगी बचा सकते हैं।
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पिता के देहांत के बाद
मा का मिला पूरा सहयोग
डॉ. नेहा सिंह बताती हैं, उन्हें पढ़ाने में उनके मा का पूरा सहयोग रहा। पिता का वर्ष 2000 में देहात हो गया था। बचपन से डॉक्टर बनने का सपना था।